राबड़ी देवी के आवास पर दही -चूड़ा भोज
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड सरकारी आवास पर दही -चूड़ा भोज कार्यक्रम 15 जनवरी को आयोजित किया जायेगा. इससे पहले यह कार्यक्रम 14 जनवरी को आयोजित होना था. यह जानकारी राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने जारी की है. एजाज ने बताया कि इस दही-चूडा कार्यक्रम में सभी को आमंत्रित किया गया है. बता दें कि राबड़ी आवास पर पहले भी दही-चूड़ा का भोज मकर संक्रांति के अवसर पर होता रहा है. कुछ सालों से इस भोज का आयोजन नहीं हो रहा था. लालू यादव की सेहत भी इसबार बेहतर हुई है. जबकि अब राजद सत्ते में भी है. लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलें एकजुट हुई हैं और इस भोज में विपक्षी दलों के कई नेताओं का जुटान होगा.
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भाजपा की ओर से दही-चूड़ा भोज
इधर, बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास एक पोलो रोड पर दही-चूड़ा का आयोजन किया. इस मौके पर विजय सिन्हा ने कहा कि सूर्य के उत्तरायण में आते ही सकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ने लगता है. आज बिहार में नकारात्मक शक्तियां राज्य के विनाश में लगी हुई हैं. यह धारणा है कि खरमास के खत्म होने और उत्तरायण में सूर्य के आगमन से अधर्मियों और असुरों का पतन होता है. इस कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, सांसद रविशंकर प्रसाद आदि शामिल हुए.बता दें कि भाजपा कार्यालय में 15 जनवरी को चूड़ा दही का भोज आयोजित है. भाजपा किसान मोर्चा की ओर से ये भोज रखा जा रहा है. वहीं 13 जनवरी को भाजपा नेता व पूर्व मंत्री नितिन नवीन ने भोज का आयोजन किया है.
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव की ओर से चूड़ा-दही भोज
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता राजीव रंजन 13 जनवरी को मकर संक्रांति को लेकर चूड़ा-दही भोज का आयोजन दरोगा राय पथ स्थित पटेल सेवा संघ में कर रहे हैं. भोज को लेकर महागठबंधन के तमाम सियासी दिग्गजों व कार्यकर्ताओं को निमंत्रण भेजा गया है. भोज को सफल बनाने के लिए पटेल सेवा संघ में भव्य तैयारियां की गयी हैं. जदयू महासचिव राजीव रंजन स्वयं तैयारियों का मुआयना किया इस मुआयने में राजीव रंजन के साथ-साथ पटेल सेवा संघ के अध्यक्ष ब्रम्हानंद सिंह, संघ के महासचिव शैलेंद्र कुमार पटेल और शंकर प्रसाद बिहार धानुक महासंघ के अध्यक्ष मौजूद थे.इस विषय पर जानकारी देते हुए जदयू महासचिव ने कहा कि मकर सक्रांति साल का पहला पर्व होता है. बिहार के लोगों की इसमें गहरी आस्था होती है. इस अवसर पर एक साथ मिल जुलकर चूड़ा-दही व अन्य व्यंजनों का आनंद लेने से सुख, समृद्धि और समाजिकता में वृद्धि होती है.