मोहनिया सीट पर हर चुनाव में बदलाव! 2025 में फिर होगा बड़ा सियासी मुकाबला

Mohania Assembly constituency: मोहनिया विधानसभा सीट (SC) बिहार के कैमूर जिले में स्थित है. इसका राजनीतिक इतिहास बदलावों से भरा रहा है. 2020 में राजद की संगीता कुमारी विजयी रहीं, लेकिन 2024 में वे भाजपा में शामिल हो गईं. 2025 में यहां महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला संभावित है.

By Nishant Kumar | July 12, 2025 12:07 PM
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Mohania Assembly constituency: मोहनिया विधानसभा सीट, जो बिहार के कैमूर जिले में स्थित है और सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, एक अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है जिसका राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इस सीट पर अब तक कांग्रेस, समाजवादी दलों, जनता दल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे आठ प्रमुख दलों ने सत्ता में हिस्सेदारी की है. 1960 और 1980 के दशक में कांग्रेस का यहां दबदबा रहा और इसने पांच बार जीत दर्ज की। 1990 के दशक में बसपा के सरेश पासी ने दो बार जीत हासिल की, जबकि फरवरी 2005 में उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव जीता.

 क्या है राजनीतिक इतिहास ? 

2005 और 2010 में जदयू के चंडी पासवान दो बार विधायक बने और 2014 में सांसद भी निर्वाचित हुए. 2014 के उपचुनाव में भाजपा के निरंजन राम ने जीत दर्ज की और 2015 में भी सीट अपने पास बनाए रखी. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद की संगीता कुमारी ने भाजपा के निरंजन राम को लगभग 12,000 वोटों से हराकर इस सीट पर पहली बार महिला विधायक के रूप में जीत दर्ज की. यह जीत महागठबंधन के लिए एक बड़ी कामयाबी थी. हालांकि, फरवरी 2024 में संगीता कुमारी भाजपा में शामिल हो गईं, जिससे इस सीट पर राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं.

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क्या है जातीय समीकरण ? 

विधानसभा क्षेत्र में यादव, कोइरी, रविदास, मुस्लिम, पासवान और ब्राह्मण जैसे विभिन्न जातीय समुदायों की भूमिका निर्णायक मानी जाती है. 2020 में यहां कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 2.6 लाख थी, जिनमें पुरुषों की संख्या 1.38 लाख और महिलाओं की 1.24 लाख थी. संगीता कुमारी की भाजपा में वापसी से 2025 के विधानसभा चुनावों में NDA की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, जबकि राजद और कांग्रेस के सामने नए उम्मीदवार और रणनीति तैयार करने की चुनौती है। इस सीट की राजनीतिक यात्रा यह दिखाती है कि यहां मतदाता बार-बार बदलाव करते हैं और कोई भी दल लंबे समय तक एकतरफा वर्चस्व नहीं कायम रख सका है. 2025 में यहां महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है.

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