गया में पिंडदानियों का हुजूम बुधवार की सुबह से ही धर्मारण्य में जुट चुका था. मंगलवार को लगभग 50 हजार से ज्यादा पिंडदानियों ने धर्मारण्य, मतंगवापि व महाबोधि मंदिर में पिंडदान व कर्मकांड किया. पास स्थित सरस्वती मंदिर के पास मुहाने नदी में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पानी से तर्पण किया.
पिंडदानियों ने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की व बोधिवृक्ष को नमन कर अपने-अपने पितरों की आत्मा की शांति की कामना की. मंगलवार को बोधगया में हजारों की संख्या में पहुंचे पिंडदानियों से व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी.
बोधगया में हजारों की संख्या में पहुंचे पिंडदानियों से व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी. मुख्य रूप से यातायात की समस्या उत्पन्न हो गयी. इस बीच बारिश ने भी लोगों को परेशान किया. महाबोधि मंदिर में प्रवेश करते समय जांच को लेकर काफी अव्यवस्था का आलम रहा. पिंडदानी काफी देर तक मंदिर में प्रवेश करने का इंतजार करते रहे.
गयाजी के धर्मारण्य व मतंगवापि में पिंडदान किया. धर्मारण्य स्थित यज्ञ कूप में पिंड अर्पित करने के बाद पास स्थित प्रेत कूप में नारियल अर्पित कर पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष की कामना की. इसके बाद महाबोधि मंदिर परिसर स्थित मुचलिन्द सरोवर के पास पिंडदान किया गया.
धर्मारण्य में मुख्य रूप से त्रिपिंडी श्राद्ध करने का विधान है. जिन व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है, उनकी आत्मा प्रेतयोनि में न भटके, उसे मोक्ष दिलाने के लिए धर्मारण्य में पिंडदान किया जाता है.
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