वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फलक पर मुजफ्फरपुर की अपनी अलग पहचान अब शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर स्थायी रूप से आकार लेगी. नगर निगम ने शहर की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आइकोनिक स्ट्रक्चर के माध्यम से जीवित करने का अनूठा फैसला लिया है. नगर आयुक्त विक्रम विरकर द्वारा तैयार कराये गये इस प्रस्ताव को नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति और बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद शुक्रवार से इस पर काम भी शुरू हो गया है. शुरुआत मोतीझील ब्रिज के ऊपर तिमुहानी के समीप खाली जगह से हो रही है, जहां एक विशाल ””””पीपल के पेड़”””” का आइकोनिक स्ट्रक्चर स्थापित किया जा रहा है. यह पीपल का पेड़ मुजफ्फरपुर के पूजनीय बाबा गरीबनाथ मंदिर की स्थापना की अलौकिक कहानी को बयां करेगा. यह उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलायेगा जब पीपल के पेड़ की कटाई के दौरान उससे एक अलौकिक प्रवाह उत्पन्न हुआ था और बाबा गरीबनाथ स्वयं प्रकट हुए थे. यह आइकोनिक स्ट्रक्चर वर्तमान पीढ़ी को बाबा के प्राकट्य और मंदिर के गौरवशाली इतिहास की जानकारी देगा, जिससे शहर की धार्मिक आस्था और गहरी होगी.
वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुजफ्फरपुर की पहचान बन चुके मीठे और रसीले फल ””””लीची”””” का आइकोनिक स्ट्रक्चर लक्ष्मी चौक पर लगाया जायेगा. ये दोनों ही अनूठे स्ट्रक्चर नगर निगम में अनुपयोगी पड़े लोहे के उपकरणों और कबाड़ का रचनात्मक इस्तेमाल करके बनाये जा रहे हैं, जिससे न केवल लागत खर्च कम होगा, बल्कि यह ””””वेस्ट टू वंडर”””” का एक बेहतरीन उदाहरण भी बनेगा. इन दोनों चौक-चौराहों के अलावा निगम अन्य स्थानों को भी चिह्नित कर रहा है जहां शहर की पुरानी यादों और पहचान को ताजा करते हुए ऐसे ही और आइकोनिक स्ट्रक्चर लगाये जा सकें.
बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास सौ साल से भी अधिक पुराना है और यह लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है. जनश्रुति के अनुसार, इस स्थान पर एक विशाल पीपल का पेड़ था. जब इस पेड़ की कटाई की जा रही थी, तब अचानक उससे एक अलौकिक प्रवाह उत्पन्न हुआ और स्वयं बाबा भोलेनाथ प्रकट हुए. इसके बाद से उनकी पूजा-अर्चना शुरू हो गयी. समय के साथ मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया और आज यह दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. मान्यता है कि बाबा गरीबनाथ अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यह आइकोनिक स्ट्रक्चर शहर की पहचान के साथ-साथ इस समृद्ध और चमत्कारी इतिहास को भी दर्शायेगा, जिससे मुजफ्फरपुर की सांस्कृतिक विरासत और मजबूत होगी.
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