Bhagat Singh: भगत सिंह हथियार खरीदने के लिये रुपयों की जुगाड़ में आये थे मुजफ्फरपुर, बेतिया में बदला था नाम

Bhagat Singh: शहीद दिवस के मौके पर प्रभात खबर आपको भगत सिंह की उस कहानी के बारे में बताने जा रहा है जब वो मुजफ्फरपुर आये था.

By Paritosh Shahi | March 23, 2025 4:20 AM
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Bhagat Singh, विनय, मुजफ्फरपुर: शहीद-ए-आजम भगत सिंह हथियारों के लिए रुपयों का जुगाड़ करने मुजफ्फरपुर आए थे. इरादा था कि कहीं डाका डालकर (क्रांतिकारियों ने इसे एक्शन नाम दिया था) रुपयों का इंतजाम किया जाये. मुजफ्फरपुर आने से पहले वह बेतिया गये थे, लेकिन वहां एक्शन लायक स्थिति नहीं बनने के कारण वह योगेंद्र शुक्ल के साथ मुजफ्फरपुर लौट आये थे और यहां दो-तीन दिन रहकर प्लान बनाया था. भगत सिंह अपने दो अन्य साथियों के साथ मुजफ्फरपुर आए थे. उनके दोनों साथी यहां के एक धर्मशाला में हथियारों के साथ ठहरे हुए थे.

दिल्ली की मीटिंग में क्या तय हुआ

सरकारी गवाह बनने के बाद बेतिया के फणींद्रनाथ घोष ने लिखित गवाही में इसका जिक्र किया है. जिसका जिक्र राजकमल प्रकाशन से 2014 में प्रकाशित (भगत सिंह को फांसी-2, चुनिंदा गवाहियां, लेखक-मालविंद्र सिंह वरैच और राजवंती मन) में विस्तार से किया गया है. फणींद्र घोष ने गवाही में कहा कि दिल्ली की मीटिंग में यह तय हुआ था कि बेतिया में एक्शन किया जाये, जिससे हथियारों के लिए रुपयों का प्रबंध हो सके. भगत सिंह ने कहा था कि वह बाल और दाढ़ी मूंछ कटवा कर बंगाली पहनावे में बेतिया पहुंचेंगे. 26 सितंबर, 1928 को वह मुजफ्फरपुर में अपने दो साथियों को छोड़ कर बाल-दाढ़ी मुड़वा कर चंद्रशेखर आजाद के साथ बेतिया पहुंचे थे.

बेतिया में हमलोगों ने बदल लिए थे अपने नाम

गवाही में फणींद्रनाथ घोष ने कहा था कि बेतिया में एक साथ हम सभी क्रांतिकारी एकत्रित हुए थे. हम सभी ने अपने नाम बदल लिये थे. भगत सिंह का नाम रंजीत, मनमोहन बनर्जी का नाम खुदीराम, शिव वर्मा का नाम प्रभात, कुंदन लाल का नाम प्रताप, मेरा नाम दादा और चंद्रशेखर आजाद का नाम पंडित रखा गया था. बेतिया पहुंचने के बाद भगत सिंह ने पूछा था कि एक्शन के लिए कोई जगह देखी है या नहीं. मैंने कहा, अभी नहीं तो वह नाराज हो गया. हमलोग मनमोहन बनर्जी के मकान की आरे चले, लेकिन घर से आधा मील दूर रुक गए. मनमोहन अपने घर से रोटी लाया. भोजन के बाद चंद्रशेखर आजाद को बलवा रामपुर में बाबू राम के घर ठहराया गया.

बेतिया में एक्शन से कर दिया था इनकार

फणींद्रनाथ घोष ने कहा था कि सुबह में हम सभी संत घाट पर मिले. डकैती के लिए मैंने चंद्रशेखर आजाद को कुछ मारवाड़ियों की दुकानें दिखायी, लेकिन चंद्रशेखर आजाद तैयार नहीं हुए. तय हुआ कि योगेंद्र शुक्ल और भगत सिंह मुजफ्फरपुर में एक्शन की तैयारी करे. योगेंद्र शुक्ल ने भगत सिंह को एक रिवाल्वर और तीन कारतूस भी दिये. दूसरे दिन दोनों मुजफ्फरपुर चले गये. तीन चार दिन बाद भगत सिंह ने बताया कि जल्दी ही मुजफ्फरपुर में एक्शन होगा, लेकिन वहां भी वैसी स्थिति नहीं बनी.

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