इससे पहले डॉ. विनायक गौतम ने दिया था इस्तीफा
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार कदम रख रही जन सुराज ने मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार की तलाश लगभग पूरी कर ली है. शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर और एसकेएमसीएच में मेडिसिन विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ. एके दास को चुनावी मैदान में उतारने का दावा किया जा रहा है. डॉ. दास ने पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी की हरी झंडी मिलने के बाद उनके एसकेएमसीएच के सहायक प्राध्यापक पद से इस्तीफे की बात सामने आ रही है. इससे पहले जन सुराज से ही तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद का चुनाव लड़ने के लिए डॉ. विनायक गौतम ने पद से इस्तीफा दिया था. हालांकि, वे चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे. वहीं, एसकेएमसीएच की प्राचार्य डॉ. आभा रानी सिन्हा ने कहा कि डॉ. दास का इस्तीफा अभी मिला नहीं है.
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट के बारे में विस्तार से जानें
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट बिहार की हॉट सीटों में से एक है. इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस यानी महागठबंधन का कब्जा है. पांच लाख की आबादी वाले इस विधानसभा सीट पर लगभग साढ़े तीन लाख वोटर्स हैं. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी के अलावा क्षेत्रीय और निर्दलीयों का भी खाता खुलता रहता है. कांग्रेस ने 30 साल के लंबे गैप के बाद 2020 के चुनाव में कमबैक किया. यह सीट साठ के दशक से ही अप्रत्याशित परिणामों के लिए जाना जाता रहा है. पहला चुनाव 1952 में हुआ था. शिव नंदा पहले विधायक थे. इस सीट पर मुख्य रूप से विजेंद्र चौधरी और सुरेश कुमार शर्मा के बीच सीधी टक्कर देखी जाती है. 2005 से लेकर अबतक दो बार विजेंद्र चौधरी और दो बार सुरेश शर्मा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया है. हालांकि, और पहले जाएं तो विजेंद्र चौधरी इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं.
जातीय समीकरण और सियासी गणित
मुजफ्फरपुर सीट की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार निर्णायक संख्या में हैं. वहीं ब्राह्मण, कुर्मी, रविदास, पासवान और यादव वोटरों की भी बड़ी भूमिका रहती है. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जहां एक ओर तीसरी बार चुनाव जीतने के मंशे से मैदान में उतरेगी तो वहीं कांग्रेस भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहेगी. इस बार मुजफ्फरपुर सीट से प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
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