मुजफ्फरपुर नगर परिषद में अविश्वास प्रस्ताव से उठा बवंडर, कार्यपालक पदाधिकारी ने सरकार से मांगा स्पष्ट मार्गदर्शन

Bihar Politics news: मुजफ्फरपुर के साहेबगंज नगर परिषद में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव ने एक जटिल कानूनी और प्रक्रियात्मक पहेली खड़ी कर दी है. कार्यपालक पदाधिकारी रणधीर लाल ने नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है. क्योंकि, बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 और बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम 2022 के प्रावधानों में विरोधाभास प्रतीत हो रहा है.

By Radheshyam Kushwaha | June 10, 2025 7:45 PM
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देवेश कुमार/ Bihar Politics news: मुजफ्फरपुर स्थित नगर परिषद साहेबगंज के कुल 26 पार्षदों में से 24 पार्षदों (जिनमें सशक्त स्थायी समिति के 5 में से 3 सदस्य शामिल हैं) ने संयुक्त रूप से मुख्य पार्षद कलावती देवी और उप मुख्य पार्षद मो अलाउद्दीन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है. पार्षदों का आरोप है कि मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद ने पद का दुरुपयोग करते हुए एक विशेष ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बोर्ड की सामान्य बैठक और सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लिए गये निर्णयों के आलोक में प्रकाशित निविदा को समय-सीमा पूर्ण होने से पहले ही मनमाने ढंग से रोकने का आदेश पारित किया. इसे भ्रष्टाचार का आरोप मानते हुए अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाई गई है. यह प्रस्ताव नियमानुसार एक तिहाई से अधिक पार्षदों द्वारा हस्ताक्षरित है और इसमें विशेष बैठक बुलाने की मांग की गयी है.

कानूनी अड़चनें और विरोधाभास के कारण मांगा स्पष्ट दिशा-निर्देश

बिहार नगरपालिका अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया नियमावली 2010 और बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (4) के तहत, मुख्य पार्षद को सात दिनों के भीतर विशेष बैठक की सूचना जारी करनी होती है और सूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर बैठक का आयोजन करना होता है. मुख्य पार्षद द्वारा सूचना जारी करने में विफल रहने पर कार्यपालक पदाधिकारी को बैठक आयोजित करनी होती है. हालांकि, बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम 2022 की धारा 23(2) में आकस्मिक रिक्ति की स्थिति में निर्वाचन का प्रावधान है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद पद रिक्त माना जायेगा या नहीं.

कार्यपालक पदाधिकारी ने सरकार से मांगा स्पष्ट मार्गदर्शन

सबसे महत्वपूर्ण विरोधाभास धारा 25(3) में है, जो एक ओर पार्षदों की कुल संख्या के बहुमत से मुख्य पार्षद/उप मुख्य पार्षद को हटाने का प्रावधान करती है, वहीं दूसरी ओर यह भी कहती है कि प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित मुख्य पार्षद / उप मुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जायेगा. यह स्थिति नगर परिषद के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है. क्योंकि, बिहार राज्य में संशोधन के बाद यह अपनी तरह का पहला मामला है. कार्यपालक पदाधिकारी ने विभाग से इस संबंध में विधि सम्मत व्याख्या और दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया है. ताकि, नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जा सके.

मीटिंग बुलाने की मियाद मंगलवार को हो गयी है खत्म

पार्षदों की तरफ से पेश किये गये अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्य पार्षद को मीटिंग बुलाने का अधिकार है. इसके लिए सात दिनों का समय मिलता है. यह समय मंगलवार को खत्म हो गया. इसके बाद अब कार्यपालक पदाधिकारी मीटिंग बुलाएंगे. हालांकि,मीटिंग बुलाने से पहले कार्यपालक पदाधिकारी ने सरकार से स्पष्ट मार्गदर्शन की मांग की है.

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