Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में इस बार चाइना लीची की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. किसानों के अनुसार, पेड़ों पर पिछले साल की तुलना में करीब 40 फीसदी कम मंजर देखने को मिल रहे हैं. बाढ़ प्रभावित औराई और मुशहरी प्रखंडों में तो चाइना लीची के पेड़ों पर मंजर नहीं के बराबर हैं. वहीं, अन्य क्षेत्रों में भी अधिक ठंड पड़ने के कारण मंजरों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई है.
किसानों की बढ़ती चिंता
मुशहरी प्रखंड के किसान राजीव कुमार का कहना है कि शाही लीची की स्थिति संतोषजनक है, लेकिन चाइना लीची में मंजरों की भारी कमी किसानों को निराश कर रही है. मीनापुर के किसान सुबोध कुमार के अनुसार, उनके क्षेत्र में चाइना लीची के उत्पादन में 30 फीसदी की गिरावट देखी गई है. जिले के प्रमुख प्रखंडों में चाइना लीची की स्थिति संतोषजनक नहीं है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाने की आशंका है.
बाजार पर पड़ेगा असर
मुजफ्फरपुर जिले में करीब 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है, जिससे हर साल लगभग एक लाख टन लीची का उत्पादन होता है. इसमें सबसे अधिक हिस्सा चाइना लीची का होता है. पिछले साल अमेरिका, इंग्लैंड और सऊदी अरब समेत कई देशों में शाही के साथ-साथ चाइना लीची का भी निर्यात किया गया था, लेकिन इस बार कम उत्पादन के चलते एक्सपोर्ट में गिरावट आ सकती है. कांटी के किसान बबलू शाही के मुताबिक, अगले दस दिनों में चाइना लीची की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.
जल्दी खत्म हो सकती है लीची की उपलब्धता
जिले में चाइना लीची की फसल कमजोर रहने से इसका असर कारोबार पर भी पड़ेगा. बाजार में लीची समय से पहले खत्म हो सकती है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी नुकसान होगा. किसानों का कहना है कि अगर मंजरों की संख्या में सुधार नहीं हुआ, तो इस साल लीची की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है.
प्रशासन और विशेषज्ञों की सलाह
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मौसम के अनियमित मिजाज का असर फलों की पैदावार पर पड़ रहा है. किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे फसलों की देखभाल में अतिरिक्त सावधानी बरतें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों से सलाह लें.
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चाइना लीची की फसल में गिरावट से न केवल किसान बल्कि व्यापारी और उपभोक्ता भी प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में लीची उत्पादन की स्थिति पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी.