सकरा, मुरौल सहित अन्य जगहों के जल की जांच में हुआ खुलासा जल का पीएच भी पाया गया मानक से अधिक, बूढ़ी गंडक नदी प्रदूषित उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले का भू-जल में पाये जाने वाले बाइकार्बोनेट सेहत के लिये नुकसानदेह है. खासकर सकरा और मुरौल में यह रसायन अधिक मात्रा में है. पूसा के डॉ राजेंद प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संजय कुमार सिंह की रिसर्च में यह बात सामने आयी है. रिसर्च के दौरान दोनों प्रखंडों के 40 हैंड पंपों से प्राप्त जल की जांच की गयी, जिसमें 81 फीसदी नमूना में बाइकार्बोनेट की मात्रा अधिक पायी गयी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे पानी को पीने से पेट संबंधी समस्या और दांतों को नुकसान पहुंच सकता है. इसके अलावा जिले के 14 स्थानों से भी भूजल का नमूना लिया गया, जिसमें टीडीएस और नाइट्रेट की सांद्रता अधिक पायी गयी. जिले में नदी के तीन स्थलों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जल का पीएच स्तर 7.1 से 8.7 के बीच था, जिससे जल क्षारीय हो गया था़ इसके अलावा घुलित ऑक्सीजन 0.7 से 10.7 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार पीने के पानी में पीएच सात होना चाहिए, लेकिन यहां जल में पीएच का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया़ बूढ़ी गंडक नदी के विभिन्न स्थानों पर जल गुणवत्ता में भी अलग-अलग भिन्नता रही, लेकिन बूढ़ी गंडक के शहरी क्षेत्र के जल में जैव रासायनिक ऑक्सीजन अधिक रही, जो प्रदूषण के स्तर को दर्शाता है. नदी में कचरों का प्रवाह और गंदगी के कारण यह पानी दिन-ब-दिन विषैला हो रहा है. शहर की हवा भी प्रदूषित, 210 तक पहुंचा एक्यूआई जल की तरह शहर की हवा भी प्रदूषित है. गर्मी शुरू होते ही शहर की हवा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच दिनों में शहर की हवा में एक्यूआइ 210 तक पहुंच गया है. सड़कों पर धूल, गाड़ियों से निकलने वाला कार्बन और छोटे कारखाने शहर में प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. मुजफ्फरपुर अक्सर प्रदूषित शहरों के टॉप टेन में रहता है, जबकि यहां बड़े कारखाने भी नहीं है. लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शुरू हुए काम के बाद से शहर में प्रदूषण बढ़ा है. मानक के अनुसार काम नहीं करने के कारण धूल और छोटे कणों की संख्या बढ़ी है.
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