हिट वेव से पहले एइएस की फुलप्रूफ तैयारी, मुख्यालय का सख्त जायजा

Foolproof preparation for AES before hit wave

By Kumar Dipu | April 21, 2025 7:26 PM
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जिले के 19 अस्पतालों की पड़ताल, पीएचसी पर यूनिसेफ-डब्ल्यूएचओ की पैनी नजर वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर अप्रैल में ही दस्तक दे रही संभावित हिट वेव और उससे उपजी एइएइएसएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहता. मुख्यालय स्तर से जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की गहन पड़ताल शुरू हो गई है. सदर अस्पताल से लेकर प्रखंडों के पीएचसी तक, हर स्तर पर दवाइयों और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है. किस अस्पताल में क्या कमी है, इसे जानने के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं. दो बार पहले आकलन हो चुका है और अब तीसरी बार फिर से जमीनी हकीकत परखी जाएगी. मकसद साफ है – एइएइएसएस से पीड़ित बच्चों के इलाज में कहीं कोई चूक न रह जाए. प्रखंडों के पीएचसी की व्यवस्था चाक-चौबंद रहे, इसके लिए यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ को मैदान में उतारा गया है. स्वास्थ्य विभाग ने इन वैश्विक संस्थाओं को अलग-अलग प्रखंडों की जिम्मेदारी सौंपी है. ये टीमें पीएचसी में मौजूद संसाधनों का बारीकी से आकलन कर कमियों को चिन्हित करेंगी, ताकि उन्हें तुरंत दूर किया जा सके. जिले के मीनापुर, कांटी, मोतीपुर, साहेबगंज, पारू, मड़वन, औराई, कटरा, बोचहां, गायघाट, सरैया, मुशहरी, बंदरा, मुरौल, सकरा और कुढ़नी जैसे संवेदनशील प्रखंडों पर विशेष फोकस है, जहां एइएइएसएस के मामले अक्सर अधिक आते हैं. स्वास्थ्य मुख्यालय ने जिले के 19 सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था का विस्तृत आकलन (गैप असेसमेंट) कराने का सख्त निर्देश दिया है. इस पड़ताल में अस्पतालों में मौजूद संसाधनों और भविष्य की जरूरतों का खाका खींचा जाएगा. एइएइएसएस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जीवनरक्षक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और कमी पाए जाने पर तत्काल आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी. अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती का भी जायजा लिया जा रहा है. जरूरत के अनुसार अतिरिक्त डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. इसके साथ ही, प्राथमिक और उप-स्वास्थ्य केंद्रों तक ओआरएस और अन्य जरूरी दवाओं की उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी. मुख्यालय की टीमें प्रखंडों में कैंप कर तैयारियों का जायजा लेंगी, ताकि हिट वेव और एइएइएसएस के संभावित खतरे से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके.

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