जिला कुक्कुट पदाधिकारी ने किसानों को दवा खिलाने की दी सलाह
Muzaffarpur Newsपेट में कृमि के कारण जिले के पशुओं में बांझपन बढ़ रहा है. कृमि की दवा नहीं खिलाये जाने के कारण पशु कमजोर हो रहे हैं, उनका विकास नहीं हो रहा है. बांझपन की समस्या भी बढ़ती जा रही है. अधिकतर किसान पशुओं को साल में दो या तीन बार कृमि नाशक दवा नहीं खिलाते हैं. इसकी वजह से पशुओं का विकास प्रभावित होता है. गर्मी के मौसम में पशुओं में कृमि होना आम बात है. पशु चिकित्सकों को इस मौसम में पशुओं को कृमि नाशक दवा खिलाना चाहिये. जिससे उसका पोषण सही तरीके से हो सके. कृमि नाशक दवा ग्रामीण स्तर पर पशु चिकित्सा केंद्र पर मिलती है. इसके अलावा पशुधन संजीवनी हेल्प लाइन 1962 पर कॉल करके भी दवा ले सकते हैं.
एक ही तरह की दवा देना भी खतरनाक
कृमि नाशक दवाएं पशुओं के लिए जरूरी हैं. नियमित अंतराल पर इसे देने से पशुओं का विकास होता है और गर्भधारण में समस्या नहीं होती. जिला कुक्कुट पदाधिकारी अवधेश कुमार ने कहा कि पशुओं को साल में तीन या चार बार कृमिनाशक दवाएं देना जरूरी है. कृमि की दवा देने के बाद पशुओं को लीवर टॉनिक जरूर दें. इसके अलावा विटामिन मिक्सचर बड़े पशुओं को 50 से 100 ग्राम और छोटे पशुओं को 10 से 25 ग्राम तक देना चाहिये. इससे पशुओं में नयी कोशिकाओं का विकास होता है. कृमिनाशक दवा देने से पशुओं का विकास होता है और बांझपन की समस्या दूर होती है. पशुओं को बार-बार एक ही तरह की कृमिनाशक दवा भी नहीं देनी चाहिये. दवाओं को बदल कर देने से कृमि पर जल्दी असर पड़ता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है