पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में एसटीएफ, जिला पुलिस और एसएसबी की संयुक्त टीम लगातार पौरीबाजार, कजरा, बन्नुबगीचा और चानन थाना क्षेत्रों के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन चला रही थी. खुफिया इनपुट के आधार पर कई संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. इसी दौरान रावण कोड़ा ने पुलिस के बढ़ते दबाव और ऑपरेशन की गंभीरता को देखते हुए आत्मसमर्पण कर दिया.
इन घटनाओं में रहा है मुख्य भूमिका:
- 2013 में धनबाद-पटना इंटरसिटी ट्रेन पर हमला, जिसमें जवानों और यात्रियों की हत्या कर हथियार लूटे गए थे.
- 2022 में महुलिया से धर्मबीर यादव के अपहरण और उनके घर पर गोलीबारी.
- पिरीबाजार क्षेत्र से एक डीलर के पुत्र का अपहरण और पुलिस से सीधी मुठभेड़.
- 2018 में खड़गपुर (मुंगेर) में झील निर्माण स्थल पर सात वाहनों को फूंक दिया और आठ मजदूरों को अगवा कर लिया गया.
- 2021 में अजीमगंज मुखिया की गला रेतकर हत्या.
रावण कोड़ा पर दो दर्जन से अधिक संगीन नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप है. उसके खिलाफ कई थानों में आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह वर्षों से फरार था.
सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मिलेगा लाभ
उग्रवादियों के लिए लागू सरेंडर व पुनर्वास नीति के तहत रावण कोड़ा को कुल 6 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसमें ₹2.5 लाख समर्पण के तुरंत बाद, ₹3 लाख घोषित इनामी राशि और ₹10,000 प्रतिमाह के हिसाब से अधिकतम 36 माह तक ₹3.6 लाख स्टाइपेंड शामिल है. लखीसराय पुलिस का मानना है कि इस आत्मसमर्पण से इलाके में सक्रिय अन्य नक्सलियों के हौसले पस्त होंगे और वे भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित होंगे.
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