NRI को पसंद आ रही मुजफ्फरपुर की लहठी, नेपाल और अमेरिका भेजा जा रहा सकरा का लाह कलस्टर
मुजफ्फरपुर : सकरा के केशोपुर में एमएसएमइ द्वारा संचालित लाह कलस्टर से लहठी की बिक्री की जा रही है. इसमें अच्छी बात यह है कि प्रवासी भारतीयों को भी यह लहठी पसंद आ रही है. यहां ग्रामीण महिलाओं को निशुल्क लहठी बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें लाह कलस्टर से जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है.
By Prashant Tiwari | April 15, 2025 7:57 PM
प्रवासी भारतीयों को मुजफ्फरपुर की लहठी पसंद आ रही है. अब यहां से नेपाल सहित अमेरिका भी लहठी जा रही है. सकरा के केशोपुर में एमएसएमइ द्वारा संचालित लाह कलस्टर से लहठी की बिक्री की जा रही है. इसके अलावा देश के विभिन्न शहराें में भी यहां की लहठी की अच्छी डिमांड है. यहां शफा इकबाल ने लाह कलस्टर की शुरुआत की थी. उनके इस प्रयास से यहां की महिलाओं को रोजगार भी मिला है और छोटे से गांव की बनी लहठी की मांग विदेशों में भी है. यहां काम करने वालीं महिलाएं पांच से 10 हजार रुपये महीना कमा रही हैं. केशोपुर में लाह क्लस्टर की शुरुआत 2022 में हुई थी, जिसे एमएसएमइ मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त हुई. राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा बोर्ड के सहयोग से इस क्लस्टर में 829 कारीगर सक्रिय रूप से लहठी निर्माण कर रहे हैं.
महिलाओं को निशुल्क दिया जा रहा प्रशिक्षण
यहां ग्रामीण महिलाओं को निशुल्क लहठी बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें लाह कलस्टर से जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है. यहां की बनी लहठी की मांग इतनी अधिक है कि कारीगर मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. लहठी के रॉ मैटेरियल के लिये दूसरी जगह नहीं जाना पड़े, इसके लिये यहां एक रॉ मैटेरियल बैंक की स्थापना की गयी है, जिससे कारीगरों को आवश्यक सामग्री स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाती है. सकरा के विभिन्न पंचायतों में लहठी निर्माण का कार्य चल रहा है, जिससे महिलाओं को रोजगार के नये अवसर मिल रहे हैं.
लाह कलस्टर की प्राेपराइटर महिला उद्यमी शफा इकबाल कहती हैं कि शुरुआत में काफी परेशानी हुई. महिलाओं को लहठी बनाना सीखने में अधिक समय लगा, लेकिन महिलाओं ने मेहनत कर लहठी बनाना सीखा. इसके बाद इसके डिजायन और मजबूती पर भी काम हुआ. यहां की लहठी की मांग पिछले एक साल से विदेशाें में हो रही है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अलावा प्रवासी भारतीय व्हाट्स्एप नंबर से ऑर्डर भेजते हैं. संगठन का एक वेबसाइट भी बनाया जा रहा है. जिसके माध्यम से भी लहठी विदेश जायेगी.