Paras Hospital Murder Case: कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की दिनदहाड़े हत्या के बाद उसका आपराधिक इतिहास सामने आया है. उस पर भोजपुर व्यवसायी राजेंद्र केसरी समेत दर्जनों हत्याओं का आरोप था. शेरू सिंह के साथ मिलकर वह वर्षों तक पुलिस की पकड़ से बचता रहा. दोनों पर इनामी पोस्टर तक जारी हुए थे.
हाइलाइट
- राजेंद्र केसरी हत्याकांड में भी चंदन था शामिल
- हवलदार को गोलीमार कोर्ट से फरार हो गया था शेरू
- पूरे जिले में लगाये गये थे पोस्टर
राजेंद्र केसरी हत्याकांड में भी चंदन था शामिल
बहुत कम समय में जिले के लगभग एक दर्जन बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के बाद 11 अगस्त 2011 को भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की सुबह 9:05 पर हत्या कर दी गयी थी. उस समय वे अपने दुकान पर बैठे हुए थे जब तीन अभियुक्त बाइक से सवार होकर आए जिसमें एक मोटरसाइकिल पर बैठा रहा जबकि दूसरा सड़क की तरफ रुख करके स्थानीय लोगों पर नजर बनाए हुए था, वहीं तीसरा अभियुक्त अपने दोनों हाथों में पिस्तौल लेकर दनदनाते हुए दुकान में घुस ताबड़तोड़ गोलीमार राजेन्द्र केसरी की हत्या कर दिया.
अत्यधिक व्यस्त रहने वाले मेन रोड में स्थित भोजपुर चूना भंडार के मालिक की हत्या में चंदन मिश्रा एवं शेरू सिंह शामिल थे. हत्या को लेकर नगर थाना में कांड संख्या 231/2011 मृतक के चचेरा भाई आनंद केसरी ने दर्ज कराया था. हत्या के पीछे रंगदारी की मांग थी जहां रक दिन पूर्व चंदन मिश्रा ने मृतक के पुत्र गोपाल केसरी को धमकी देते हुए कहा था की रंगदारी नहीं देने पर दूसरे दिन दुकान खुलने के साथ ही गोली मार दूंगा. एक साल के भीतर अपराधों का अंबार लगाकर चंदन ने पुलिस की नाम में दम कर रखा था. वही चर्चित व्यवसाय की हत्या के बाद पुलिस के सिर के ऊपर पानी बहने लगा. शेरू सिंह और चंदन मिश्रा की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने तकनीक का सहारा लिथा तथा लोकेशन के आधार पर दोनों की कोलकाता से गिरफ्तारी की गई.
हवलदार को गोलीमार कोर्ट से फरार हो गया था शेरू
चंदन शेरू की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई थी.अभियुक्तों द्वारा लगातार लोकेशन बदलने एवं मोबाइल का सिम चेंज करने के कारण बिहार एवं कोलकाता पुलिस को संयुक्त रूप से बड़ा अभियान चलाना पड़ा था. दोनों को जब गिरफ्तार कर बक्सर लाया गया तो लंबे अपराध लिस्ट के का ण सप्ताह में तीन से चार दिनों तक उन्हें न्यायालय में लाना भी पुलिस के लिए एक चुनौती थी. कड़ी सुरक्षा में दोनों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता था. दोनों इतने ज्यादा खतरनाक थे कि पुलिस एक अलग बस में इन्हें न्यायालय लाना पड़ता था जिसकी सुरक्षा में पायलट जीप भी चलाया जाता था.
इस बीच 18 दिसंबर 2011 को कोर्ट में गवाही देकर हाजत जाने के क्रम में शेरू हवलदार को गोली मार बाउंड्री फांदकर कोर्ट से फरार हो गया था. शेरू को भगाने के लिए बड़ी शाजिश रची गई थी जब वह लगभग शाम के 4:00 बजे कोर्ट रूप में गवाही देकर बाहर निकला तो हवलदार से पेशाब करने के लिए बरामदे में बने वांशरूम में ले चलने को कहा जहां पहले से लोडेड पिस्तौल के साथ मिर्च पाउडर रखा हुआ था जिसे शेरू ने उठा लिया तथा पुलिस वालों का आंखो में मिर्च झोंक भागने लगा जब हवलदार ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसके जबड़े में गोली मार चारदीवारी के दूसरी तरफ पहले से चालू अवस्था में खड़े चारपहिया वाहन से फरार हो गया था. दोनों के अपराध के क्षेत्र में वर्चस्व के कारण चंदन मिश्रा को भागलपुर जेल स्थानांतरित किया गया वहीं शेरू पुरुलिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
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पूरे जिले में लगाये गये थे पोस्टर
राजेंद्र केसरी हत्याकांड के बाद पुलिस ने शेरू और चंदन की गिरफ्तारी के लिए जिले में पहली बार बड़े-बड़े ईनामी पोस्टर लगाए. उनके स्कैच थानों और चौराहों पर चिपकाए गए. सूचना देने वाले को 50 हजार का इनाम और पहचान गुप्त रखने की घोषणा हुई थी. चंदन ने बक्सर जेल में मामूली झगड़े के बाद एक सिपाही को दिन में 1:30 बजे सिंडिकेट नहर बस स्टैंड पर गोली मार दी थी. वह पहले ही धमकी दे चुका था कि जेल से निकलते ही पहली हत्या उसी की करेगा.
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