कोई भी एक्टिंग इंस्टिट्यूट अभिनय नहीं सीखा सकता : पंकज झा

हाल ही में रिलीज हुए वेब सीरीज ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन पहले दो सीजन से भी ज्यादा पसंद किया जा रहा है. इसमें दबंग विधायक ‘प्रधान’ का रोल निभाने वाले एक्टर पंकज झा के अभिनय की भी खूब सराहना की जा रही है. चाहे वह ‘फुलेरा’ गांव के लोगों से लड़ाई का हो या घोड़े बेचने के दौरान उनकी शालीन भाव का. यह क्लिप सोशल मीडिया पर भी सुर्खियां बटोर रही हैं. मूल रूप से बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले पंकज झा ने अपने अभिनय यात्रा, फिल्मों व वेब सीरीज से जुड़ी कई पहलुओं पर प्रभात खबर के साथ बातचीत की.

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2024 8:40 PM
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हाल ही में रिलीज हुए वेब सीरीज ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन पहले दो सीजन से भी ज्यादा पसंद किया जा रहा है. इसमें दबंग विधायक ‘प्रधान’ का रोल निभाने वाले एक्टर पंकज झा के अभिनय की भी खूब सराहना की जा रही है. चाहे वह ‘फुलेरा’ गांव के लोगों से लड़ाई का हो या घोड़े बेचने के दौरान उनकी शालीन भाव का. यह क्लिप सोशल मीडिया पर भी सुर्खियां बटोर रही हैं. मूल रूप से बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले पंकज झा ने अपने अभिनय यात्रा, फिल्मों व वेब सीरीज से जुड़ी कई पहलुओं पर प्रभात खबर के साथ बातचीत की. पेश है पंकज झा की हिमांशु देव के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश. Q 50 से अधिक फिल्मों में अब तक आप काम कर चुके हैं, अब तक का अनुभव कैसा रहा?

—मैं पटना आर्ट कॉलेज व एनएसडी का छात्र रहा हूं. सिनेमा मेरे लिए बहुत खास नहीं है. इसे मैंने हमेशा सामान्य तौर पर लिया है. जितना काम करता हूं, उससे ज्यादा छोड़ता हूं. सिर्फ खर्चा के लिए फिल्म किया है. बॉलीवुड से मैं बिलॉन्ग नहीं करता. बॉलीवुड मुझसे बिलॉन्ग करता है.

Qपंचायत सीजन तीन में घोड़ा बिकने वाला सीन खूब सराहा गया, आप इसे कैसे देखते हैं?

—आज तक के सिनेमा इतिहास में वैसा सीन कोई नहीं किया है. मेरे साथ घोड़ा भी रो रहा था. आज सभी अभिनेता शॉक में हैं. क्योंकि, मैं ओशो यूनिवर्सिटी से हूं. उनकी बदौलत मैं भीड़ का एक्टर नहीं बना. मैंने अपने ऊपर बहुत काम किया है, जिसके चलते इतना अच्छा सीन निकलकर आया. ओशो ने एक एक्टर को कहा था- ‘जीवन ऐसे जियो जैसे अभिनय कर रहे हो और अभिनय ऐसे करो जैसे जीवन जी रहे हो’. तो मैंने इस पात्र को जिया है.

Qआज हर गली-मुहल्ले में एक्टिंग इंस्टिट्यूट खुल रहे हैं, क्या यहां से अभिनय सीखा जा सकता है?

—आज एक्टिंग के स्कूल नहीं, बल्कि दुकान खोले जा रहे हैं. जिन्हें अपने ऊपर भरोसा नहीं है, उन्हें लगता है कि वह एक्टिंग स्कूल में जायेंगे, तो एक्टर बन जायेंगे. यह सोचना गलत होगा. क्योंकि, कोई भी किसी को एक्टिंग नहीं सिखा सकता. इस दुनिया में सभी एक्टिंग स्कूल कुछ और नहीं बल्कि महत्वाकांक्षी अभिनेताओं को लुभाने वाली दुकानें हैं.

Qअसली अभिनेता कौन होता है? आप किसे मानते हैं ?

—मैं असली अभिनेता श्री कृष्ण को मानता हूं. क्योंकि, असली अभिनेता हमेशा भगवान और प्रकृति से ज्यादा जुड़ा होता है. लेकिन कुछ सितारे बहुत ज्यादा ‘अवास्तविक’ होते हैं. हिंदी सिनेमा ऐसा लगता है जैसे यह ‘पुनर्वास केंद्र’ में लोगों के लिए बना है और दर्शकों को फिल्मों के नाम पर ‘बकवास’ स्वीकार करने के लिए तैयार किया गया है.

Qअभिनय के अलावा आप क्या कर रहे होते हैं? अभी आपने कहा कि मैं बस खर्चे-पानी के लिए एक्टिंग करता हूं?

—मुझे लिखना बहुत पसंद है. मेरी लिखी पुस्तक ‘अज्ञात से ज्ञात की ओर’ प्रकाशित भी हुई है. यह पुस्तक एक काव्यात्मक यात्रा है, जो पाठकों को अपने भीतर झांकने और जीवन की गहराइयों को समझने के लिए प्रेरित करती है. इसके अलावे मुझे पेंटिंग बहुत पसंद है. मेरी पेंटिंग की स्टूडियो भी है.

Qआपने अपनी एक्टिंग को कैसे पहचाना, करियर की शुरुआत कैसे की?

—मैं पैदा ही एक्टिंग के लिए हुआ था. मैं ‘बॉर्न एक्टर’ हूं. हालांकि, मुझे भीड़ का एक्टर नहीं बनना था. साथ ही, मैं ओशो के प्रति बहुत समर्पित था. इसके लिए ओशो की थेरिपियां ली. जिसके चलते कई फिल्में ब्लॉकबस्टर बनकर उभरीं.

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