अब तक राज्य में कुल 2,613 अमृत सरोवरों का विकास किया जा चुका है संवाददाता,पटना राज्य के गांवों में में निर्मित अमृत सरोवर समग्र विकास के केंद्र तब्दील हो रहे हैं. इन सरोवरों के माध्यम से एक ओर जहां वर्षा के जल के संचयन से फसलों की सिंचाई की जा रही है, वहीं इन सरोवरों में मछली पालन से जीविका दीदियों के लिए रोजगार के नये अवसर भी सृजित हो रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा जीविका दीदियों को प्रतिवर्ष पांच हजार की सहायता राशि दी जा रही है.इससे वे अमृत सरोवरों में मछली पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना रही हैं. 15वें वित्त आयोग के टाइड फंड की 30 प्रतिशत राशि से राज्य की ग्राम पंचायतों में पंचायती राज प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों की देखरेख में इन सरोवरों का निर्माण किया गया है. प्रत्येक नये सरोवर का क्षेत्रफल दो एकड़, 30 डिसमिल निर्धारित किया गया है. इससे भूजल के स्तर में सुधार हुआ है और लोगों को स्थानीय जल संकट से राहत मिली है. इन सरोवरों के चारों ओर मियाकायी (जर्मन) पद्धति से बरगद और पीपल जैसे छायादार वृक्षों के पौधे लगाये जा रहे हैं. इससे लोगों को गर्मी से तो राहत मिल ही रही है, साथ ही शाम के समय सरोवरों के किनारे लोग अपने परिवार के साथ समय भी गुजार रहे हैं. गौरतलब है कि अब तक राज्य में कुल 2,613 अमृत सरोवरों का विकास किया जा चुका है.इसकी जानकारी भारत सरकार के पोर्टल https://amritsarovar.gov.in/ पर उपलब्ध है. राज्य के गांवों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ जल के संकट का सामना न करना पड़े, इसके लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में पारंपरिक जलस्रोतों के संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता दी जा रही है. अब तक राज्य की विभिन्न पंचायतों में 25,262 सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार तथा 18,526 सोख्ता निर्माण कार्य संपन्न हो चुका है. इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर भूजल रिचार्ज को बढ़ावा देना और जल के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है. वित्तीय दृष्टिकोण से यह योजना 15वीं वित्त आयोग द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि से संचालित की जा रही है. इसके अंतर्गत न केवल सार्वजनिक जलस्रोतों का पुनरुद्धार किया जा रहा है, बल्कि पंचायत सरकार भवनों, जिला पंचायत संसाधन केंद्रों तथा अन्य सरकारी भवनों में वर्षाजल संचयन संरचनाओं का निर्माण भी सुनिश्चित किया गया है.
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