Bapu Tower Photo: बापू टावर बन कर तैयार, महात्मा गांधी को एक स्मारकीय श्रद्धांजलि

Bapu Tower Photo: बापू टॉवर की निर्माण लागत 129 करोड़ रुपये है, जो महात्मा गांधी की विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण निवेश है.

By Ashish Jha | August 2, 2024 12:00 PM
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Bapu Tower Photo: पटना. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए बिहार के पटना शहर के बीचों-बीच एक नया स्मारक बनकर तैयार है. गर्दनीबाग में स्थित बापू टॉवर गांधी को समर्पित देश में अपनी तरह का पहला टॉवर है, जो बिहार के स्थापत्य और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. बापू टॉवर की निर्माण लागत 129 करोड़ रुपये है, जो महात्मा गांधी की विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण निवेश है.

सात एकड़ में फैले इस टॉवर में विभिन्न गैलरी, शोध केंद्र, विशिष्ट अतिथियों के लिए लाउंज और प्रशासनिक कार्यालय शामिल हैं, जो इसे एक व्यापक शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाते हैं. 120 फीट की ऊंचाई पर बना और छह मंजिलों वाला बापू टॉवर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. यह टॉवर न केवल एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, बल्कि गांधी के जीवन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और शांति, अहिंसा और सद्भाव के उनके सार्वभौमिक सिद्धांतों के बारे में जानने और चिंतन करने का केंद्र भी है.

इतिहास के माध्यम से गांधी की एक विसर्जित यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन की गई संरचना में गोलाकार और आयताकार दोनों इमारतें शामिल हैं, जो पर्यटकों को बापू के जीवन और विरासत के एक आकर्षक आख्यान के माध्यम से मार्गदर्शन करती हैं. बापू टॉवर आगंतुकों को ग्राउंड फ्लोर पर टर्नटेबल थिएटर शो के साथ एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जहाँ गांधी की जीवनी जीवंत हो जाती है.

टावर के अंदर गांधीजी और बिहार के इतिहास से जुड़ी एक प्रदर्शनी लगाई गई है, जिस पर करीब 45 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इसमें अहमदाबाद की एक फैक्ट्री में बारीकी से तैयार की गई मूर्तियां और कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं, जो आगंतुकों के अनुभव को गहराई और प्रामाणिकता प्रदान करती हैं. इसके अतिरिक्त, टॉवर के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है, जो पर्यावरण प्रबंधन और सतत विकास के उच्च मानकों को दर्शाता है.

बापू टॉवर की एक खासियत इसकी बाहरी तांबे की परत है, जिसका वजन 42 हजार किलोग्राम है, जो गोलाकार इमारत की बाहरी दीवार को सुशोभित करती है. ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की प्रतिक्रिया के कारण यह तांबे का मुखौटा इंद्रधनुषी रंगों में एक सुंदर परिवर्तन से गुजरता है, जो टॉवर के सौंदर्य आकर्षण को बढ़ाता है.

2 अक्टूबर, 2018 को शुरू हुए बापू टॉवर के निर्माण में इसके आरंभिक लक्ष्य से कई बार विस्तार किया गया है. अब यह टावर बन कर तैयार हो चुका है. निश्चित रूप से यह आनेवाले दिनों में गांधीवादी सिद्धांतों का प्रतीक और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा.

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