राशन कार्ड पर आपत्ति, आधार-वोटर ID पर विचार करें: कोर्ट
सुनवाई के दौरान जब अदालत ने दस्तावेजों की वैधता पर सवाल उठाया, तो चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि राशन कार्ड को पहचान के प्रमाण के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता. आयोग ने इसे बड़े पैमाने पर फर्जी पाए जाने की आशंका जताते हुए खारिज कर दिया. इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि वह मंगलवार को यह बताएगा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई कब होगी.
65 लाख नाम हटाए गए, 22 लाख मृतक, 36 लाख हुए स्थानांतरित
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को SIR के पहले चरण के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि बिहार में 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं. जिनमें से 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, 36 लाख लोग स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, जबकि करीब 7 लाख लोगों के नाम एक से अधिक जगह पाए गए.
इस कार्रवाई के बाद राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई है. यह संशोधन विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत किया गया, जिसमें घर-घर जाकर बीएलओ द्वारा सत्यापन किया गया.
24 जुलाई को हुई थी सुनवाई
24 जुलाई को भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. अदालत ने SIR प्रक्रिया को संवैधानिक जिम्मेदारी बताते हुए इसे रोकने से इनकार किया था. हालांकि कोर्ट ने इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए थे, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं.
राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 याचिकाकर्ताओं ने SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं. इनकी पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायण ने की. वहीं चुनाव आयोग की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने कहा- अभी रोक की जरूरत नहीं
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने साफ किया कि SIR पर तत्काल कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं की ओर से इस पर स्थगन की मांग नहीं की गई है. कोर्ट ने 21 जुलाई तक चुनाव आयोग से जवाब मांगा था, और अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
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