जीविका के सीइओ व आइएस अधिकारी बालामुर्गन डी बताते हैं कि एक- दो दिनों में इनकी प्रतिदिन की क्षमता 17 हजार से बढ़ कर 20 और फिर 25 हजार प्रतिदिन की हो जायेगी. इसमें जीविका के दीदियों की संख्या बढ़े इसका प्रयास भी किया जा रहा है. ऐसी कठिन परिस्थिति में जीविका की दीदियों का काम काफी साहसिक है.
फिलहाल सरकारी संस्थानों को आपूर्ति
जीविका की ओर से फिलहाल सरकारी संस्थानों मसलन सरकारी अस्पताल, जिला प्रशासन, पुलिस आदि संस्थानों को मास्क उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है. बाजार में इसको नहीं बेचा जा रहा है. जानकारी के अनुसार अभी विभिन्न जिलों में ही एक लाख से अधिक मास्क की जरूरत है, जिसे वर्तमान संसाधन व मैनपावर से पूर्ति का पाना संभव नहीं है. दीदियों को मास्क बनाने के लिए स्थानीय बाजार से ही कच्चे माल को खरीदना पड़ रहा है.उसकी निरंतर आपूर्ति भी एक समस्या है़ जीविका के अधिकारी बताते हैं कि जब और दीदियां इससे जुड़ेंगी, उत्पादन बढ़ेगा. फिर आगे मास्क को बाजार में भी उपलब्ध कराना शुरू कर दिया जायेगा. जानकारी के अनुसार फिलहाल पांच जिलों मसलन शिवहर, अरवल आदि जगहों पर काम शुरू नहीं हो पाया है, जबकि 22 जिलों में दीदियों ने मास्क बना शुरू कर दिया है.
दो तरह के बनाये जा रहे मास्क
जीविका की दीदियां फिलहाल दो तरह के मास्क बनाये जा रहे हैं. एक साधारण कॉटन का मास्क व एक सर्जिकल मास्क के तरह मास्क का निर्माण किया जा रहा है. गौरतलब है कि जीविका की दीदियों का राज्य में नौ लाख 23 हजार तीन सौ 31 स्वयं सहायता समूह है. इनके सात लाख 14 हजार एक सौ 99 बचत बैंक खाते, पांच लाख 69 हजार आठ सौ 82 लोन बैंक खाते हैं. इसमें कुल एक लाख एक हजार नौ सौ 59 महिलाओं को विभिन्न तरह के कार्ड उपलब्ध हैं. 34 हजार दो सौ 15 गांवों में काम चल रहा है