Bihar Monsoon: बिहार में हुआ बेवफा मानसून, कई जिलों में सुखाड़ के हालात, जानिए कहां-कितनी कम हुई बारिश

Bihar Monsoon: बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में इस बार मानसून ज्यादा ही मेहरबान है. झारखंड में अबतक सामान्य से 70 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. उत्तर प्रदेश में भी सामान्य से अबतक 6 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. हालांकि पश्चिम बंगाल में मानसून सीजन में बारिश की थोड़ी कमी है.

By Ashish Jha | July 8, 2025 8:09 AM
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Bihar Monsoon: पटना. बिहार में मानसून ने एक बार फिर दगा दे दिया है. पड़ोसी राज्य झारखंड और उत्तर प्रदेश में जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई है, वहीं बिहार पानी के लिए तरस रहा है. सोमवार तक बिहार में 46 फीसदी तक मानसून की बारिश कम हुई है. जुलाई में इसके और कम होने के आसार हैं. बिहार के 20 जिलों में 50 प्रतिशत तक बारिश की कमी है. सहरसा, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में तो यह आंकड़ा 80 फीसदी से भी कम है. बारिश की कमी से एक तरफ कई जिलों पर सुखाड़ का साया मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर उमस भरी गर्मी से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं. अस्पतालों में मौसमी बीमारी सर्दी-बुखार, डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है.

240.3 की जगह मात्र 129.7 मिमी हुई बारिश

बिहार में मानसून सीजन के दौरान 7 जुलाई तक सामान्य बारिश 240.3 मिमी होनी चाहिए पर अबतक मात्र 129.7 मिमी ही वर्षा हुई है. उत्तर बिहार में बारिश की कमी सबसे ज्यादा है. मधेपुरा, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, सारण, शिवहर, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, सुपौल, दरभंगा, वैशाली, पूर्णिया, गोपालगंज, अरिरया में 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है. वहीं दक्षिण बिहार के भोजपुर और अरवल में भी यही हालात हैं. कई वर्षों के बाद ऐसा हुआ है जब दक्षिण बिहार के मुकाबले उत्तर बिहार में कम बारिश हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक इसका कारण मानसून के ट्रफ लाइन का सामान्य स्थान से दक्षिण की तरफ होना है. ऐसे में मानसून की थोड़ी-बहुत गतिविधि होने पर उत्तर की जगह दक्षिण बिहार की तरफ बारिश हो रही है.

कई जिलों के अकाल जैसे हालात

गोपालगंज जिले में जुलाई के पहले सप्ताह तक केवल 12 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य से 70 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है. खेतों में दरारें पड़ रही हैं और पंपसेट से की गई रोपनी भी मुरझा रही है. 17 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है, जबकि लक्ष्य 90 हजार हेक्टेयर का है. यही स्थिति सारण जिले की है. जिले में मात्र 55 मिमी बारिश हुई है. यहां अब तक 9897 हेक्टेयर में बीज डाला गया है 3225 हेक्टेयर यानी अब तक सिर्फ 3.25 प्रतिशत रोपनी ही हो सकी है. बक्सर जिले में 9 हजार 679.68 हेक्टेयर में बिचड़ा व 96 हजार 796 हेक्टेयर में रोपनी का लक्ष्य था, जबकि अब तक 4 हजार 839 हेक्टेयर रोपनी हुई है.

15 फीसदी तक गिर सकता है धान का उत्पादन

बक्सर में अभी तक लक्ष्य का लगभग 3 प्रतिशत ही रोपनी हो सकी है. इसका प्रतिकूल असर धान उत्पादन पर पड़ने की पूरी संभावना है. ऐसे में इस खरीफ मौसम में धान का उत्पादन 15 फीसदी तक गिरने की आशंका है. सालाना राज्य में 80 से 88 लाख टन धान का उत्पादन होता है. 15 प्रतिशत कम होने पर लगभग 12 लाख टन कम उत्पादन की आशंका जताई जा रही है. राज्य में इस साल कृषि विभाग ने 37.45 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है. 6 जुलाई तक राज्य के विभिन्न जिलों में एक लाख 20 हजार हेक्टेयर में ही रोपनी हुई है.

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