निरंतर गिरावट से स्थिति भयावह
2020 में, जब इस डेटा को राज्य के लिए उपलब्ध कराया गया था, तब यह अनुपात 964 था. 2021 में यह गिरकर 908 हुआ और 2022 में और भी नीचे आकर 891 पर स्थिर हो गया. यह निरंतर गिरावट लिंग-भेद की भावना को दिखा रही है. इस गंभीर स्थिति पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल उठाया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए प्रियंका गांधी ने लिखा है, “आखिर ऐसा क्या हो रहा है कि जन्म लेने वाले बच्चों में बेटियों की संख्या लगातार गिर रही है.”
प्रियंका ने उठाये सवाल
प्रियंका गांधी ने बिहार की “डबल इंजन सरकार” पर निशाना साधते हुए कहा है, “एक तरफ महिलाओं पर लगातार हो रही बर्बरता और दूसरी तरफ लिंगानुपात के मामले में देश में सबसे खराब स्थिति इस बात का संकेत है कि बिहार का डबल इंजन महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.” उनका यह कथन ऐसे समय में आया है, जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे हैं.
कुल वोटर का 47.6% महिलाएं
2024 के आम चुनाव में बिहार की 7.64 करोड़ मतदाताओं में से 47.6% महिलाएं थीं और मतदान में उनकी हिस्सेदारी 50.4% रही थी, जो महिला मतदाताओं के महत्व को रेखांकित करता है. हालांकि यह रिपोर्ट कुल पंजीकृत जन्मों में वृद्धि दर्शाती है (2021 में 242 लाख से बढ़कर 2022 में 254.4 लाख), और पंजीकृत मौतों में कमी (2021 में 102.2 लाख से घटकर 2022 में 86.5 लाख), बिहार का गिरता लिंगानुपात एक अकेला, लेकिन महत्वपूर्ण अपवाद है. यह आंकड़ा केवल संख्या मात्र नहीं, अपितु एक समाज की अंतरात्मा का दर्पण है.
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