दक्षिण बिहार में बढ़ रही है खेत में पुआल जलाने की परंपरा
अधिकारी ने बताया कि फिलहाल बिहार में पुआल जलाने की घटनाएं बहुत कम हैं. खेतों में पुआल जलाने की परंपरा बिहार में हाल ही में शुरू हुई है. अभी भी इसके अधिकतर मामले दक्षिण बिहार से ही आ रहे हैं. उत्तर बिहार में अभी भी ऐसी परंपरा नहीं है. रोहतास, भोजपुर, कैमूर और बक्सर समेत आसपास के इलाकों में धान की कटाई शुरू होने पर खेतों में पुआल जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. बिहार के विभिन्न जिलों में पारा गिरने के साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बिगड़ने लगा है. हालांकि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के प्रमुख डीके शुक्ला के अनुसार पुआल जलाने से कोई बड़ा प्रभाव पड़े ऐसा मामला हमारी नजर में नहीं है. हालांकि, बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के जिलों में कुछ मामले सामने आए हैं.
लोगों को किया जाये जागरूक
बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडे ने फील्ड अधिकारियों को अन्य विभागों के साथ सहयोग करने और गांवों में बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश दिया, ताकि किसानों को पुआल जलाने से रोका जा सके. पिछले दिनों कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में मंत्री ने कहा, “इस बार, संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों (डीएम) ने पुआल जलाने के खिलाफ मुहिम शुरू की है और बायोमास कचरे को खुले में जलाने की घटनाओं की जांच के लिए रणनीति बनाई है. अधिकारियों को पुआल जलाने के लिए कुख्यात क्षेत्रों की निगरानी करने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए कहा जा रहा है.”
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