आठ स्थानों से हो रहा पत्थर का खनन
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल राज्य में आठ स्थानों से पत्थर का खनन हो रहा है. इसमें शेखपुरा जिले में सात स्थान और गया जिले में एक स्थान शामिल हैं. इसके साथ ही राज्य में पत्थर की जरूरत की आपूर्ति झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित अन्य स्थानों से होती है. इसमें निजी क्षेत्र में 20 से 30 हजार करोड़ रुपये और सरकारी योजनाओं में 42 से 45 हजार करोड़ रुपये का खर्च शामिल है. ऐसे में अन्य राज्यों से पत्थर मंगवाने पर करीब 70 से 75 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है. इससे अन्य राज्यों की जीडीपी का विकास हो रहा है.
राजस्व प्राप्ति में बढ़ोतरी
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पत्थर खनन को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के पूर्व पीसीसीएफ भारत ज्योति से कैमूर की पहाड़ी शृंखला सहित अन्य जगहों के बारे में विमर्श किया गया. बिहार में पत्थर खनन बड़े पैमाने पर शुरू होने से करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. इसके साथ ही यहां तेजी से विकास होगा. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि खान एवं भूतत्व विभाग के राजस्व प्राप्ति में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3114.79 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई थी. वर्तमान वित्तीय वर्ष में माह फरवरी 2025 तक विभाग द्वारा कुल 2605.99 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहण किया गया है.
अवैध खनन के खिलाफ हो रही कार्रवाई
राज्य में बालू और गिट्टी के अवैध खनन और गतिविधियों पर कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में माह फरवरी तक 28942 छापेमारी, 3263 प्राथमिकी, 1206 अवैध खननकर्ता- परिवहनकर्ता की गिरफ्तारी, 10092 वाहनों की जब्ती और दंड के रूप में 126.44 करोड़ रुपये की वसूली की गयी.
Also Read: Bihar News: बिहार में हर दिन बन रहे 326 प्रधानमंत्री आवास, कुल सात लाख 90 हजार आवास बनाने का लक्ष्य