Bihar News: अब दक्षिण बिहार में खेतों को मिलेगा गंगा जल, पटवन की दूर होगी समस्या

Bihar News: संतोष कुमार मल्ल ने इसे बिहार में जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट से निपटने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने यह भी कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विभाग को जो काम मिले हैं, उसको पूरा करने के लिए सभी स्तर के पदाधिकारी प्रयास करेंगे.

By Ashish Jha | June 5, 2025 11:07 AM
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Bihar News: पटना. बिहार में जलस्रोत तेजी से खत्म हो रहे हैं. सबसे खराब हालत नालंदा जिले की है. दक्षिण बिहार में पेयजल के रूप में गंगा जल पहुंचाया जा रहा है. अब सरकार ने फैसला किया है कि दक्षिण बिहार के खेतों तक भी गंगा जल पहुंचाया जायेगा. सरकार के इस फैसले से दक्षिण बिहार के किसानों की सिंचाई समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाने की उम्मीद है. जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने कहा है कि दक्षिण बिहार के कई जिलों में अब गंगा नदी के अधिशेष जल से सिंचाई की जाएगी. बिहार में अभी गंगा जल से नालंदा, गया और नवादा जिलों में रहने वाले लोगों को पेयजल की आपूर्ति हो रही है. अब इन इलाकों में इस जल का उपयोग खेतों की सिंचाई के लिए भी किया जाएगा.

80 प्रतिशत तक घट चुकी है सिंचाई क्षमता

संतोष कुमार मल्ल सिंचाई भवन स्थित सभागार में आयोजित पेयजल संकट वाले क्षेत्रों के लिए “गंगा जल आपूर्ति योजना” विषय पर परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे. प्रधान सचिव ने कहा कि मानसून के समय गंगा में आने वाले अधिशेष जल को पाइपलाइन के माध्यम से बांका जिले के बेलहर स्थित बदुआ जलाशय तक पहुँचाने की योजना बन रही है. यह जलाशय वर्षों से मानसून में भी भर नहीं पाता, जिससे इसकी सिंचाई क्षमता लगभग 75-80 प्रतिशत तक घट चुकी है. प्रस्तावित योजना से इस जलाशय को भरने के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा.

कई शहरों में होगी पेयजल आपूर्ति

उन्होंने यह भी बताया कि औरंगाबाद, डेहरी तथा सासाराम में सोन नदी के सतही जल का उपयोग करते हुए शीघ्र ही पेयजल योजनाएं शुरू की जाएंगी. वहीं, दुर्गावती जलाशय से भभुआ और मोहनिया शहरों को भी जल आपूर्ति की जाएगी. प्रधान सचिव ने आगे बताया कि जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत मोरवे, जालकोट, बासकोट एवं गरही जैसे जलाशयों को भी गंगा जल से भरने की दिशा में कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि मानसून में गंगा का अधिशेष जल बर्बाद न होकर उपयोग में लाया जाए और इससे राज्य के जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को राहत मिले.

तालाबों को अतिक्रमण मुक्त होना जरुरी

अभियंता प्रमुख (सिंचाई एवं सृजन)अवधेश कुमार ने कहा कि जब तक जीवन और हरियाली है, तभी तक सच्ची खुशहाली संभव है. इनके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती बन चुकी है और इससे निपटने के लिए हमें सतत, वैज्ञानिक और समर्पित प्रयास करने होंगे. आने वाली पीढ़ियों के लिए जलवायु संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. जल-जीवन-हरियाली अभियान इसी सोच का विस्तार है, जिसके तहत राज्य भर में तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उनका संरक्षण किया जा रहा है, ताकि जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को प्रोत्साहन मिल सके.

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