बिहार के पंचायत चुनाव में इस बार मुखिया और सरपंच पद से अधिक वार्ड सदस्य पदों के लिए मारमारी है. बताया जा रहा है कि पहले अधिकांश वार्डों में वार्ड सदस्य निर्दलीय ही जीत जाते थे, लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल अलग है. चुनावी पंचायतों के कई वार्डों में सदस्य पद के लिए दो से तीन-तीन उम्मीदवार मैदान में है.
ताजा जानकारी के अनुसार सुपौल के छतरपुर पंचायत के करीब 1543 लोगों ने वार्ड सदस्य पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. बताया जा रहा है कि अमूमन वार्डों में यही हाल है. बिहार में इस बार पंचायत समिति और वार्ड पंच के पदों पर भीड़ कम है.
इधर, मुखिया के मुकाबले पंचायतों में सरपंच का कैंडिडेट भी अधिक है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह सरकार का हालिया फैसला बताया जा रहा है. सरकार ने चुनाव से पहले सरपंचों की शक्ति बढ़ाने का ऐलान किया था.
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पंचायत समिति और जिला परिषद सीटों पर नेताओं की नजर- वहीं बिहार में पंचायत समिति और जिला परिषद की सीट पर विधायक, मंत्री, सांसद और पूर्व मंत्रियों की नजर है. बताया जाता है कि नेता अपने समर्थकों को जीताने में जुटे हैं. दरअसल, जिला प्रमुख अध्यक्ष बनने के लिए जिला परिषद का सदस्य होना जरूरी है. वहीं प्रमुख बनने के लिए पंचायत समिति का चुनाव जीतना जरूरी है.
बताते चलें कि बिहार के 34 जिलों के 48 प्रखंडों में बुधवार की सुबह सात बजे से पंचायत चुनाव के लिए मतदान शुरू होगा. मतदान शाम पांच बजे तक होगा. दूसरे चरण में 71467 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना है. दूसरे चरण में 53 लाख दो हजार 73 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे
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