राज्य सरकार बिहार पुलिस के आधुनिकीकरण को लेकर गंभीर पहल कर रही है. इसी क्रम में बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम ने 52 नए खास थानों के निर्माण की योजना तैयार की है. इनमें 44 आदर्श (मॉडल) थाना, दो नदी थाना, एक रेल थाना, और पांच यातायात थाने शामिल हैं.
पटना में कंकड़बाग, दीदारगंज, एसके पुरी और एयरपोर्ट थाना भवन को मॉडर्न पुलिस स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है. अन्य जिलों में भी चरणबद्ध तरीके से मॉडल थानों की स्थापना की जा रही है.
इन थानों की रूपरेखा इस तरह तैयार की गई है कि वे न सिर्फ अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हों, बल्कि पुलिसकर्मियों की ज़रूरतों और आम नागरिकों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाए. थानों में आगंतुक कक्ष से लेकर आधुनिक कंप्यूटिंग सुविधाएं, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, अलग से महिला हेल्प डेस्क और बेहतर बैठने की व्यवस्था तक सब कुछ शामिल है.
सिर्फ थाने नहीं, पूरी पुलिस अधोसंरचना हो रही है सशक्त
भवन निर्माण निगम द्वारा राज्यभर में दर्जनों परियोजनाएं एक साथ चलाई जा रही हैं. पटना के बिहटा में अग्नि प्रशिक्षण अकादमी, आनंदपुर में फायर रेस्क्यू टॉवर, सिमुलेशन बिल्डिंग, और मॉडल फायर स्टेशन बन रहे हैं.
इसी तरह नवादा, नवगछिया, अरवल में एसपी कार्यालय और आवास, पकरीबरांव व बोधगया में एसडीपीओ आवास, और 21 जिलों में अभियोजन कार्यालय का निर्माण जारी है. बक्सर, लखीसराय, नवादा, गोपालगंज समेत नौ जिलों में निर्माण कार्य अंतिम चरण में है.
एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी तैयार
बेतिया, गया, दरभंगा, बेगूसराय, सारण, रोहतास और भागलपुर में सीआईडी, एसटीएफ, एचयूओयू जैसी यूनिट्स के लिए एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों का निर्माण हो रहा है. साथ ही पांच जिलों में विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं, 213 थाना भवन, 575 आवासीय यूनिट्स, और 30,000 से अधिक सिपाहियों के लिए बैरक भी बन रहे हैं.
बजट में भारी बढ़ोतरी, निर्माण कार्य की कड़ी मॉनिटरिंग
भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष व डीजी आलोक राज ने बताया कि हर निर्माण कार्य की सख्त निगरानी की जा रही है ताकि गुणवत्ता से कोई समझौता न हो. बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार निगम का बजट भी काफी बढ़ा है, जिससे कई लंबित परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा.
बिहार में पुलिसिंग अब सिर्फ कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं रह जाएगी, बल्कि यह एक समग्र प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम है. मॉडर्न थानों से लेकर ट्रेनिंग सेंटर और वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं तक, यह पहल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को 21वीं सदी के अनुरूप बनाने की ओर बढ़ रहा एक बड़ा कदम है. इससे न सिर्फ पुलिसकर्मियों को बेहतर कार्य परिवेश मिलेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी अधिक सुरक्षित और जवाबदेह पुलिस व्यवस्था का अनुभव होगा.
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