Bihar Politics: राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने होंगी ये 3 बड़ी चुनौतियां, पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे मंगनी लाल?

Bihar Politics: RJD के नए प्रदेश अध्यक्ष को तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा, विधानसभा चुनाव की कमान संभालना, संगठन में अनुशासन बनाए रखना और लालू परिवार को कानूनी संकटों के बीच मजबूती से समर्थन देना. ये तीनों ही पहलू उनकी राजनीतिक सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता की असली परीक्षा साबित होंगे. पढे़ं पूरी खबर…

By Aniket Kumar | June 14, 2025 11:50 AM
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Bihar Politics: RJD के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आज यानी शनिवार को नामांकन प्रक्रिया हो रही है. 19 जून को पार्टी की राज्य परिषद की बैठक में नए अध्यक्ष के नाम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी. JDU छोड़कर RJD में शामिल हुए मंगनी लाल मंडल इस बार अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. अगर मंगनी लाल प्रदेश अध्यक्ष चुने जाते हैं तो वे पार्टी के सातवें प्रदेश अध्यक्ष और EBC से आने वाले पहले नेता बनेंगे. मंगनी लाल के सामने कई तरह की चुनौती भी हैं. इनमें मुख्य रूप से ये हैं- 

1. विधानसभा चुनाव में जीत की जिम्मेदारी

RJD के नए प्रदेश अध्यक्ष को सबसे पहले आने वाले विधानसभा चुनावों की चुनौती से जूझना होगा. माना जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, यानी नए अध्यक्ष के पास तैयारी के लिए सिर्फ 4 महीने का समय होगा. इस दौरान उन्हें पूरी चुनावी रणनीति बनानी होगी, उम्मीदवारों का चयन, टिकट बंटवारे में संतुलन, गुटबाजी को नियंत्रित करना और जमीनी स्तर पर पार्टी को संगठित करना, ये सभी जिम्मेदारियाँ उन्हीं पर होंगी. इतना ही नहीं, गठबंधन दलों के साथ सीट शेयरिंग, प्रचार की योजना और स्थानीय समीकरणों को साधना भी उन्हीं की प्राथमिकता में होगा. यदि चुनाव का परिणाम अच्छा नहीं रहा, तो सीधे तौर पर इसका असर अध्यक्ष की छवि और राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा. इसलिए यह चुनौती सिर्फ संगठनात्मक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत साख की परीक्षा भी होगी.

2. पार्टी में अनुशासन बनाए रखना

RJD के वर्तमान अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने जिस तरह से पार्टी कार्यालय में अनुशासन और शुचिता का माहौल बनाया, उसे बनाए रखना नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. अगर मंगनी लाल मंडल को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उनकी उम्र (करीब 77 वर्ष) को देखते हुए यह जिम्मेदारी और भी कठिन हो जाती है. एक वरिष्ठ नेता के रूप में उन्हें नियमित रूप से पार्टी कार्यालय में उपस्थित रहना, कार्यकर्ताओं से संवाद बनाए रखना और शिकायतों का निपटारा करना बेहद जरूरी होगा. युवा कार्यकर्ताओं और तेजस्वी समर्थक गुटों को साथ लेकर चलना, संगठनात्मक अनुशासन को मजबूती देना और आंतरिक असंतोष को नियंत्रण में रखना उनका असली इम्तिहान होगा.

3. कोर्ट मामलों के बीच लालू परिवार का साथ निभाना

CBI और ED की कार्रवाइयों से लालू परिवार लगातार कानूनी मोर्चों पर घिरा हुआ है. अगर इन मामलों में कोई बड़ा फैसला आता है, तो RJD पर राजनीतिक दबाव और नैतिक चुनौती दोनों बढ़ जाएंगे. ऐसे समय में प्रदेश अध्यक्ष को न सिर्फ पार्टी को संभालना होगा, बल्कि सार्वजनिक मंचों पर लालू परिवार के समर्थन में मुखर रहना होगा. तेजस्वी यादव के नजदीकी नेताओं और पार्टी के वरिष्ठ चेहरों से तालमेल बनाए रखना, फैसलों में पारदर्शिता दिखाना और संकट के समय पार्टी का नैरेटिव जनता के सामने प्रभावी तरीके से रखना, यह सब उनके लिए बेहद जरूरी होगा. ये सभी कदम सिर्फ नेतृत्व कौशल नहीं, बल्कि राजनीतिक चतुराई और निष्ठा की भी कसौटी बनेंगे.

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