Bihar Politics: नीतीश कुमार का इफ्तार पार्टी आज, इन मुस्लित संगठनों ने किया बहिष्कार का एलान

Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित इन संगठनों के पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर यह बिल कानून बनता है तो आप और आपकी पार्टी जदयू को इसका मुकम्मल जिम्मेदार ठहराया जाएगा. "हम संविधान के इस उल्लंघन के खिलाफ कानूनी, लोकतांत्रिक और राजनीतिक तरीकों से भरपूर विरोध जारी रखेंगे."

By Ashish Jha | March 23, 2025 6:45 AM
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Bihar Politics: पटना. वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ इमारत-ए-सरिया समेत बिहार के मुस्लिम संगठनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का विरोध करने का फैसला लिया है. इमारत-ए-सरिया ने कहा है कि बिहार के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने रविवार 23 मार्च को होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दावत-ए-इफ्तार के बायकॉट की घोषणा की है. इन संगठनों की ओर से नीतीश कुमार को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह फैसला आपकी ओर से प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल 2024 के समर्थन के खिलाफ विरोध के तौर पर लिया गया है.

भरोसा खोने का लगाया आरोप

पत्र लिखने वाले संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलेमा हिंद, जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानकाह मुजीबिया और खानकाह रहमानी शामिल हैं. विल्कुल स्पष्ट अंदाज में लिखे गए पत्र में इन संगठनों ने नीतीश कुमार से कहा है कि आपने धर्मनिरपेक्ष शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकार की सुरक्षा के वादे पर सत्ता हासिल की थी, लेकिन भाजपा के साथ आपका गठबंधन और अतार्किक व असंवैधानिक वक्फ संशोधन बिल को आपका समर्थन आपके उन्हीं वादों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है. पत्र में लिखा गया है, “आपकी इफ्तार की दावत का मकसद सद्भावना और भरोसा को बढ़ावा देना होता है लेकिन भरोसा केवल औपचारिक दावतों से नहीं बल्कि ठोस नीति और उपायों से होता है. आपकी सरकार का मुसलमानों की जायज मांगों को नजरअंदाज करना इस तरह की औपचारिक दावतों को निरर्थक बना देता है.”

वक्फ संशोधन बिल 2024 के समर्थन पर गुस्सा

इन संगठनों ने स्पष्ट शब्दों में अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 से समर्थन तुरंत वापस लिया जाए. वक्फ संशोधन बिल के नुकसान को बताते हुए पत्र में कहा गया है कि अगर यह संशोधन लागू होता है तो यह शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, महिलाओं के केंद्र और धार्मिक स्थानों पर सदियों पुरानी वक्फ जायदादों को खत्म कर देगा. इससे मुस्लिम समुदाय में गरीबी और अभाव और बढ़ेगा जैसा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में पहले ही बताया जा चुका है. इस पत्र में कहा गया है कि यह पत्र जुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ एक मजबूत स्टैंड है न कि बातचीत से इनकार. अगर बातचीत वास्तविक और प्रभावी नौति व सुधार की राह बनाए तो हम सार्थक बातचीत के लिए तैयार हैं.

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