Bihar School: पटना. बिहार में नीतीश सरकार ने आटो और ई रिक्शा को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. सरकार ने स्कूलों बच्चों को ऑटो और ई रिक्शा से ढोने पर लगी रोक तत्काल हटाने का फैसला किया है. फिलहाल एक सप्ताह यानी 9 अप्रैल तक बच्चों को ऑटो और टोटो से स्कूल ले जा सकेंगे. 9 अप्रैल तक अगर ऑटो या ई रिक्शा से बच्चे स्कूल जाते हैं, तो ऑटो चालक पर किसी प्रकार का कोई जुर्माना नहीं लेगा. यह फैसला पटना डीएम के साथ बैठक में ऑटो यूनियन ने लिया है.
इस कारण लिया गया फैसला
मोटर वाहन अधिनियम के तहत इस प्रतिबंध को लागू किया गया है. हालांकि, अभिभावक अपने बच्चों को साथ लेकर ऑटो से स्कूल जा सकते हैं. दरअसल, यह फैसला बीते तीन वर्षों में ओवरलोडिंग के कारण हुई दुर्घटनाओं के मद्देनजर लिया गया है. इन हादसों में सात स्कूली बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि आधा दर्जन से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं. नियम को प्रभावी बनाने के लिए इसे 1 अप्रैल से लागू करने की योजना थी, लेकिन अब भी जागरूकता की कमी देखी जा रही है.
वाहन चालकों को चेतावनी
यातायात पुलिस अधीक्षक अपराजित लोहान और जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर ने मंगलवार को ऑटो और ई-रिक्शा संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. उन्होंने स्पष्ट किया कि वाहन चालक और मालिक एक सप्ताह के भीतर स्कूली बच्चों को ढोना बंद कर दें. यदि वे नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई होगी. इसमें भारी जुर्माने के साथ-साथ वाहन जब्त किए जाने का भी प्रावधान है.
ऑटो चालकों की दलीलें
ऑटो चालकों ने प्रशासन के सामने अपनी आर्थिक परेशानियाँ रखीं. उनका कहना है कि शहर में पहले से ही ई-रिक्शा और ऑटो की संख्या अधिक है, जिससे सवारी मिलना कठिन हो गया है. स्कूली बच्चों के परिवहन से उन्हें निश्चित आय होती थी, जिससे वे वाहन की मासिक किस्त और मरम्मत का खर्च निकाल लेते थे. कुछ चालकों ने यह भी बताया कि उन्होंने अभिभावकों से एडवांस फीस ली थी, जिसे वे पहले ही खर्च कर चुके हैं. अब यदि वे बच्चों को स्कूल नहीं ले जाएंगे तो अभिभावक अपनी रकम वापस मांगेंगे जिसे लौटाना उनके लिए संभव नहीं है. इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने एक हफ्ते की मोहलत दी है, ताकि चालक अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें.
नियम तोड़ने पर होगी कड़ी कार्रवाई
मोटर वाहन अधिनियम के तहत तिपहिया वाहनों से स्कूली बच्चों के परिवहन पर सख्त पाबंदी है. चार पहिया वाहन और बसों के लिए भी विशेष सुरक्षा मानक निर्धारित किए गए हैं. एक सप्ताह के भीतर स्कूली वैन और बसों की भी जाँच शुरू की जाएगी. यदि सुरक्षा मानकों में कोई कमी पाई जाती है, तो स्कूल प्रबंधन को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा. बैठक में ऑटो यूनियन ने अपनी 7 सूत्री मांगे रखी, जिसमें स्कूल में ऑटो और ई-रिक्शा के परिचालन को लेकर लिए गए फैसले को वापस लेने की अपील थी. साथ ही वाहन के कागजात ठीक करने के लिए समय मांगा गया है कलर कोडिंग लागू करने के पहले चार्जिंग की व्यवस्था करने सहित कई मांगें की गई हैं. बीते दिन गर्दनीबाग में ऑटो यूनियन के द्वारा किए गए प्रदर्शन में 5 हजार ऑटो चालक शामिल हुए थे.
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