Bihar Tourist Places: (जयश्री आनंद) बिहार के भागलपुर जिले को अब केवल सिल्क और जर्दालु आम के लिए ही नहीं, बल्कि एक बेहद खास पर्यटन स्थल के तौर पर भी पहचान मिल रही है. दरअसल कहलगांव में गंगा नदी के बीचों-बीच स्थित तीन पहाड़ियां- शांति बाबा, बंगाली बाबा और पंजाबी बाबा आज पर्यटकों के लिए अद्भुत आकर्षण का केंद्र बन चुकी हैं.
पर्यटकों को लुभा रही है ये मिनी थाईलैंड
कहलगांव में मौजूद तीन पहाड़ियों की खास बात यह है की यह गंगा नदी के बीचो-बिच बसी हैं और चारो ओर से पानी से घिरे होने के कारण इसका दृश्य बेहद आकर्षक बन जाता है. जब पर्यटक यहां आते हैं तो उन्हें ऐसा महसूस होता है जैसे वे किसी विदेशी जगह, खासकर थाईलैंड जैसे लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर पहुंचे हों.
रॉक कट टेंपल के रूप में होगी विकसित
दरअसल बिहार सरकार ने इन पहाड़ियों को रॉक कट टेंपल के रूप में संरक्षित और विकसित करने का फैसला लिया है. बिहार प्राचीन पुरातत्व अवशेष व कलानिधि अधिनियम 1976 के तहत यह योजना बनायीं गयी है. यह न सिर्फ इन ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को संजोने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि इससे बिहार पर्यटन को एक नई पहचान और ऊंचाई भी मिलेगी. इसके साथ आने वाले समय में यह क्षेत्र धार्मिक, ऐतिहासिक और इको-टूरिज्म के लिहाज से एक प्रमुख केंद्र बन सकता है जिससे पर्यटकों के संख्या में भी इजाफा होगा.
भागलपुर से 30 KM पर है यह जगह
कहलगांव, जो भागलपुर से करीब 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गंगा नदी के बीच बने एक खूबसूरत आइलैंड के लिए जाना जाता है. यहां स्थित तीन पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए पर्यटक राजघाट या बटेश्वर स्थान घाट से नाव की मदद लेते हैं. यह नाव यात्रा भी पर्यटकों के लिए एक अलग अनुभव बन जाती है, जो उन्हें प्रकृति के और करीब ले जाती है.
विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन भी करती है आकर्षित
यह इलाका विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी का हिस्सा होने के कारण जब सैलानी नाव से इन पहाड़ियों की ओर बढ़ते हैं, तो रास्ते में डॉल्फिन की झलक उन्हें रोमांचित कर देती है,वहीं गंगा नदी में डॉल्फिन को खेलते हुए देखना पर्यटकों के लिए एक खास अनुभव बन जाता है.
पहाड़ियों की है अपनी-अपनी कहानी
इन तीन पहाड़ियों से जुड़ी अपनी-अपनी पौराणिक मान्यताएं और ऐतिहासिक कहानियां हैं. शांति बाबा, बंगाली बाबा और पंजाबी बाबा पहाड़ियों को कभी बौद्ध, जैन और सिख आश्रमों के रूप में जाना जाता था. इन पहाड़ियों पर मौजूद प्राचीन गुफाएं और छोटे-छोटे मंदिर आज भी श्रद्धालुओं और शांत वातावरण की तलाश में आने वालों को खासा आकर्षित करते हैं.
ऐतिहासिक है यह भागलपुर
ऐतिहासिक ग्रंथों और पुराणों में भी भागलपुर का उल्लेख मिलता है. ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जिस मंदार पर्वत का उपयोग मथनी के रूप में हुआ था, वह इसी क्षेत्र में स्थित है. इससे यह क्षेत्र धार्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है.
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