संवाददाता, पटना चंद्रगुप्त प्रबंध संस्थान पटना (सीआइएमपी) में बुधवार को सार्वजनिक नीति और प्रबंधन पर तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन बुधवार को हुआ. सम्मेलन की थीम ‘सक्षम समुदायों का निर्माण: सतत विकास के उत्प्रेरक के रूप में स्थानीय शासन’ विषय को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पूरे विश्व के साथ-साथ भारत भी जलवायु परिर्वतन से जूझ रहा है. बिहार भी इससे अछुता नहीं है. जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने को क्षमता निर्माण जरूरी है. उपमुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जन धन योजना और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं से जनता को लाभ पहुंचाने की प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ी और लीकेज कम हुआ. पीएम-किसान और कन्या समृद्धि योजना के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की नीति को बिहार की स्थानीय शासन व्यवस्था की प्रगतिशीलता का उदाहरण बताया. सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर सीआइएमपी के निदेशक राणा सिंह, जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अटलांटा की प्रो अंजलि थॉमस, मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी कुमोद कुमार व सम्मेलन संयोजक प्रो देबब्रत समंता भी मौजूद रहे. सीआइएमपी के निदेशक प्रो राणा सिंह ने बिहार में रणनीतिक सार्वजनिक नीति और योजना निर्माण में सीआइएमपी की भूमिका पर भी चर्चा की. प्रो देबब्रत समंता ने सम्मेलन की पृष्ठभूमि, उद्देश्यों और स्थानीय शासन को सतत विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में महत्व को रेखांकित किया. जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अटलांटा की प्रो अंजलि थॉमस ने बिहार की नीति प्रणाली के साथ जुड़ने को लेकर अपनी उत्सुकता व्यक्त की और पिछले एक दशक में राज्य की प्रगति का अध्ययन करने की अपनी रुचि साझा की. सत्र का समापन सीआइएमपी के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुमोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. सम्मेलन के पहले दिन दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें कुल पंद्रह शोध पत्र प्रस्तुत किए गये. मौके पर प्रो सौम्यानंद डिंडा (अर्थशास्त्री, बर्दवान विश्वविद्यालय), प्रो रंजन कुमार घोष (आइआइएम अहमदाबाद), पिनाकी हलदर (वरिष्ठ भूमि अधिकार सलाहकार, साउथ एशिया, लैंडेसा), और डॉ ऋचा जोशी (रिसर्च लीड, लैंडस्टैक) जैसे विशेषज्ञों ने भाग लिया. सत्र का संचालन हिमाचल प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सनन द्वारा किया गया. सम्मेलन के पहले दिन का समापन जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रो चार्ल्स हैंकाला के विशेष संबोधन के साथ हुआ.
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