क्या-क्या होगा इस परियोजना में?
संजय झा ने बताया कि परियोजना के तहत करीब 741 किलोमीटर लंबी नहरों को पक्की (सीमेंट-कंक्रीट से लाइनिंग) किया जाएगा. इससे सालभर रबी और खरीफ सीजन में नहरों के आखिरी छोर तक पानी पहुंचाया जा सकेगा. यह परियोजना 2.91 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई की सुविधा देगी. इससे इलाके में खेती की तस्वीर बदल जाएगी.
सड़क और पुल भी बनेंगे
इस परियोजना के तहर नहर के एक किनारे पर 338 किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी. इससे गांवों में आवाजाही आसान होगी. इसके अलावा परियोजना के तहत 260 नए पुल बनाये जायेंगे और 407 की मरम्मत की जाएगी. 558 नए रेगुलेटर बनाये जायेंगे और 218 की मरम्मत की जाएगी. 158 नए क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर बनाये जायेंगे और 127 की मरम्मत की जाएगी. ये सभी निर्माण काम सिर्फ सिंचाई नहीं, बल्कि बाढ़ प्रबंधन में भी मदद करेंगे.
किसे होगा लाभ?
इस परियोजना से दरभंगा जिले के 16 प्रखंड और मधुबनी जिले के 20 प्रखंड के लगभग 24 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. इन इलाकों में गांव-गांव तक नहर का पानी पहुंचेगा जो अब तक सूखा झेलते थे.
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पुरानी नहरें हो रहीं हैं जिंदा
संजय झा ने बताया कि यह परियोजना कई सालों से अधूरी पड़ी थी. पहले जो नहरें बनी थीं वे समय के साथ बेकार हो गई थीं. जब उन्हें जल संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इन नहरों के पुनर्जीवन की योजना बनाई. 2020 में इसके लिए 735 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी किया गया और कुछ गांवों में पहली बार नहर का पानी पहुंचा.
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केंद्र सरकार से भी सहयोग
संजय झा ने बताया कि नवंबर 2024 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब मिथिला दौरे पर आई थीं, तब उन्हें इस परियोजना की पूरी जानकारी दी गई थी. बाद में उन्होंने केंद्रीय बजट में इस परियोजना के लिए वित्तीय मदद का ऐलान किया. संजय झा ने कहा कि अब जब इस योजना को राज्य सरकार की मंजूरी मिल चुकी है तो अगले 4 सालों में मिथिला की खेती में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.