Bihar Jamin Jamabandi: आपकी जमीन सरकारी है या रैयती? अब CO करेंगे फैसला, जानिए कैसे…

Bihar Jamin Jamabandi: बिहार में जमाबंदी को लॉक और अनलॉक करने की जिम्मेदारी अब सीओ की होगी. चकबंदी निदेशक ने इस संबंध में सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखा है.

By Anand Shekhar | January 22, 2025 2:14 PM
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Bihar Jamin Jamabandi: बिहार सरकार ने राज्य में जमीन के रिकार्ड को और अधिक व्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब राज्य में जमीन की जमाबंदी की वैधता की जांच की जाएगी और सरकारी पाए जाने पर उसे लॉक कर दिया जाएगा. ऐसी जमीन का उपयोग सरकारी कार्यों के लिए किया जाएगा. वहीं, अगर किसी जमीन की जमाबंदी की वैधता पर आपत्ति दर्ज कराई जाती है और जांच में वह रैयती (निजी) पाई जाती है तो उसे अनलॉक कर दिया जाएगा, ताकि रैयत उसका उपयोग कर सकें.

अंचलाधिकारियों को दी गई जिम्मेदारी

इस निर्देश का पालन सुनिश्चित करने के लिए चकबंदी निदेशक ने सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखा है. इस पत्र के अनुसार अब जमाबंदी की वैधता की जांच करने और उसे लॉक या अनलॉक करने की पूरी जिम्मेदारी अंचलाधिकारी को दी गई है.

जांच प्रक्रिया

जमाबंदी की जांच के दौरान सभी संबंधित पक्षों की बात सुनी जाएगी. जांच में अगर जमाबंदी गलत पाई गई तो उसे रद्द कर दिया जाएगा. अन्यथा जमाबंदी अनलॉक रहेगी. दोनों ही स्थितियों में अंचल अधिकारी का आदेश उस जमाबंदी के साथ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.

पहले की व्यवस्था

पहले भूमि सुधार उपसमाहर्ता द्वारा डिजिटल जमाबंदी की वैधता की जांच करने का निर्देश था. सॉफ्टवेयर मॉड्यूल के माध्यम से जमाबंदी को लॉक या अनलॉक करने का काम भी उनके द्वारा ही किया जाता था. लेकिन अब नए नियम के तहत अंचलाधिकारी जमाबंदी को लॉक या अनलॉक करने का काम करेंगे.

नई व्यवस्था की जरूरत क्यों पड़ी?

समीक्षा में पाया गया कि पिछले कई वर्षों से अभियान जारी रहने के बावजूद बड़ी संख्या में प्रक्रियाएं लंबित हैं. जमाबंदी की वैधता की जांच और लॉक या अनलॉक करने की प्रक्रिया ठीक से नहीं हो रही है. भूमि सुधार उप समाहर्ता ने बैठकों में बताया था कि रैयती जमीन की जमाबंदी बनाने के लिए अंचल कार्यालय से आधार का साक्ष्य मिलने में कठिनाई हो रही है. इसलिए इस प्रक्रिया को सुगम बनाने और लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करने के लिए यह नया निर्णय लिया गया है.

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नई व्यवस्था के लाभ

  • प्रक्रिया में तेजी आएगी
  • पारदर्शिता बढ़ेगी
  • भूमि अभिलेखों का बेहतर प्रबंधन होगा
  • सरकारी काम के लिए जमीन की पहचान आसान होगी
  • भूस्वामियों को अपनी जमीन की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी

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