Cyber Crime : अब फोन कॉल से अपराधी नहीं कर सकेंगे फ्रॉड, IIIT रांची ने EOU के लिए बनाया सॉप्टवेयर

Cyber Crime : आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) बिहार, पटना और सी-डैक पटना के संयुक्त तत्वावधान में साइबर अपराध को रोकने के लिए साफ्टवेयर विकसित करने के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता ‘साइबर हैकथॉन 2025’ का समापन गुरुवार को हो गया. इस प्रतियोगिता में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों ने भाग लिया और साईबर अपराधों से संबंधित समस्याओं पर तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए.

By Anuj Kumar Sharma | June 26, 2025 10:11 PM
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अनुज शर्मा/ पटना. Cyber Crime: ‘साइबर हैकथॉन 2025’ प्रतियोगिता में आईआईआइटी रांची की टीम ‘द ईगल आई’ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. टीम में हर्ष वर्धन, साहिल कुमार और ज्ञान प्रकाश शामिल थे. उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित वॉयस फ्रॉड डिटेक्शन प्रणाली तैयार की, जो संदिग्ध कॉल्स की पहचान कर उन्हें वास्तविक समय में रोक सकता है. टीम को 30,000 की पुरस्कार राशि दी गई. प्रतियोगिता में शामिल 14 टीमों को 24 घंटे के भीतर वॉयस फ्रॉड, फिशिंग डिटेक्शन, मोबाइल फॉरेंसिक, फेक समाचार विश्लेषण, मनी लॉन्ड्रिंग पहचान, दस्तावेज़ सुरक्षा, स्पैम अलर्ट प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित खतरे की पहचान जैसे विषयों पर काम करने की चुनौती दी गई थी.

सीएसजेएम कानपुर की टीम सिंटैक्स वीवर्स’ को तृतीय स्थान मिला

प्रतियोगिता में प्रस्तुत नवाचारों का मूल्यांकन आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस उप महानिरीक्षक (साईबर) संजय कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक डॉ. मानवजीत सिंह ढिल्लों, पुलिस अधीक्षक (साईबर) अमरकेश डी और विनय तिवारी, सी-डैक पटना के निदेशक आदित्य कुमार सिन्हा और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों ने किया. प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र में आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नैयर हसनैन खान ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने साईबर अपराधों के बढ़ते खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए युवाओं से समाजोपयोगी तकनीकी समाधान विकसित करने की अपील की. समापन अवसर पर आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों, उनके मार्गदर्शकों और सहयोगियों को सफल आयोजन के लिए बधाई दी. इसके साथ ही भविष्य में भी इस प्रकार की तकनीकी प्रतियोगिताएं आयोजित करने की योजना की घोषणा की गई.

एमिटी नोएडा की टीम को द्वितीय पुरस्कार

एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा की टीम ‘वॉरैक’ को द्वितीय पुरस्कार मिला. टीम में अंजली कुमारी, श्रेया तिवारी, अब्दुल समद अली, प्रण्या और रोनित शामिल थे. इन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित फेक समाचार डिटेक्शन उपकरण प्रस्तुत किया, जो सामाजिक मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं की पहचान कर उन्हें चिह्नित करता है. टीम को 20,000 का पुरस्कार मिला.

सीएसजेएम कानपुर की टीम को तृतीय स्थान

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर की टीम ‘सिंटैक्स वीवर्स’ को तृतीय पुरस्कार मिला. टीम में नमन, निखिल, सूर्यांश, आदित्य और नव सृजन शामिल थे. उन्होंने मोबाइल फॉरेंसिक स्वचालन उपकरण तैयार किया, जो अपराध में प्रयुक्त मोबाइल यंत्र से डाटा सुरक्षित तरीके से निकालने में सक्षम है. टीम को 10,000 की पुरस्कार राशि प्रदान की गई.

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