हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया कदम
ये केंद्र मुजफ्फरपुर, गया, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, कटिहार, रोहतास, मधुबनी, कैमूर, औरंगाबाद और जमुई में स्थापित किए जाएंगे. वर्तमान में बिहार के 38 जिलों में 39 ओएससी संचालित हैं, जिनमें पटना में दो केंद्र शामिल हैं. नए केंद्र खुलने के बाद यह संख्या 50 तक पहुंच जाएगी. महिला सुरक्षा के लिए नई पहल समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव और बिहार महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह एमडी हरजोत कौर बमराह ने बताया कि घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
सबसे ज्यादा दर्ज मामले घरेलू हिंसा के
बिहार सरकार के एक आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, 2022-23 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 8,002 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 6,952 मामलों का निपटारा किया गया. इनमें सबसे ज्यादा 5,615 मामले घरेलू हिंसा से जुड़े थे, जबकि 708 दहेज उत्पीड़न, 147 बलात्कार और तस्करी, 71 दूसरी शादी, 48 बाल विवाह, 42 साइबर अपराध और 23 कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े थे। राज्य सरकार पहले ही दहेज निषेध अधिनियम और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 जैसे कड़े कानून लागू कर चुकी है.
38 जिलों में 1-1 संरक्षण पदाधिकारी
एमडी हरजोत कौर ने बताया कि अनुमंडल स्तर पर 101, जिला स्तर पर 38 और राज्य स्तर पर 1 संरक्षण पदाधिकारी की नियुक्ति की जाएगी. घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत यह निर्णय लिया गया है, ताकि हिंसा से पीड़ित महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप सुरक्षा और राहत दी जा सके. नई पहल के तहत महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और यौन शोषण जैसी समस्याओं से बचाने के लिए उन्हें संरचनात्मक और कानूनी सहायता दी जाएगी. इसके अलावा ओएससी केंद्र महिलाओं को मनोवैज्ञानिक, कानूनी और चिकित्सा सहायता भी प्रदान करेंगे.
Also Read: देश को भाया नीतीश कुमार का बिहार मॉडल, स्कूली शिक्षा व्यवस्था में आया बुनियादी बदलाव