हृदय के वॉल्व में सिकुड़न से फूल रही थी सांस, ब्लूमिंग के जरिए डॉक्टर ने बचाई महिला की जान
महिला को पल्मोनरी एडीमा यानि सांस फूलने की समस्या थी. शुरुआत में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. डायग्नोसिस से पता चला कि उसके हृदय के वाल्व में सिकुड़न (माइट्रल एस्ट्रोनोसिस) है और लेफ्ट आर्ट्रियल भी बड़ा हो गया है.
By Prashant Tiwari | January 28, 2025 1:46 PM
फोर्ड हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने ब्लूमिंग तकनीक का इस्तेमाल कर एक 50 साल की महिला की जान बचा ली. महिला गया की रहनेवाली थी. वह सांस फूलने की समस्या (पल्मोनरी एडीमा) के साथ फोर्ड हॉस्पिटल पहुंची थी. यहां डायग्नोस में में पता चला कि उसे माइट्रल एस्ट्रोनोसिस (हृदय के वाल्व की सिकुड़न) है. फेंफड़े में पानी भी भर गया था. डॉक्टरों ने रिवर्स लूप से ब्लूमिंग के माध्यम से हृदय के वॉल्व के सिकुड़न को फुला दिया, जिससे सांस फूलना बंद हो गया. अब महिला बिल्कुल स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है.
हालत नाजुक होते जा रहा था
इलाज करनेवाले वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और फोर्ड हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. बी बी भारती ने बताया कि महिला को पल्मोनरी एडीमा यानि सांस फूलने की समस्या थी. शुरुआत में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. डायग्नोसिस से पता चला कि उसके हृदय के वाल्व में सिकुड़न (माइट्रल एस्ट्रोनोसिस) है और लेफ्ट आर्ट्रियल भी बड़ा हो गया है. रिवर्स लूप से ब्लूमिंग के जरिए हृदय के सिकुड़न को फुला दिया गया. इसके अलावा फेंफड़े में जो पानी भर गया था, जो ब्लूनिंग के बाद खुद किडनी के माध्यम से निकल जाता है.
बीमारी की वजह
डॉ. भारती ने बताया कि यह बीमारी एक बैक्टीरिया के कारण होती है, जो गले में इंफेक्शन पैदा कर रूमेटिक हर्ट डिजीज का कारण बनती है. इस तरह की बीमारी से फेफड़े में भी पानी भरने लगता है. आम तौर पर कम आय वर्ग वाले लोगों में इस बीमारी की अधिकता देखी गई है. यह हर्ट के वाल्व को क्षतिग्रस्त करने के साथ हृदय के अन्य भागों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है.
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