गोपालगंज के ग्रामीण बैंक में साढ़े तीन करोड़ से अधिक का फ्रॉड, बैंककर्मियों की संलिप्तता की जांच कर रही CBI
Fraud in Grameen Bank: गोपालगंज के ग्रामीण बैंक में साढ़े तीन करोड़ से अधिक का फ्रॉड हुआ है. यह मामला सामने आने के बाद बैंककर्मियों की संलिप्तता की जांच CBI कर रही है. आइए जानते है क्या है पूरा मामला
By Radheshyam Kushwaha | July 17, 2025 12:46 PM
Fraud in Grameen Bank: गोपालगंज के ग्रामीण बैंक में तीन करोड़ से अधिक के हुए फ्रॉड की सीबीआई जांच कर रही है. जिला लोक शिकायत पदाधिकारी के स्तर से कई मामलों में व्यापक गड़बड़झाला पाते हुए हाईलेवल जांच की अनुशंसा की जा चुकी है. ताजा मामला ग्रामीण बैंक की मुख्य शाखा गोपालगंज का है. यहां की दो तस्वीरें आपके सामने हैं. पहले में बगैर केसीसी फॉर्म को भरे ही किसान व मैनेजर का साइन दिख रहा है. वहीं, दूसरा फॉर्म भी ऋण से ही संबंधित है, जिस पर लाभुक का साइन है. फॉर्म सादा है. जानकार सूत्र बताते है कि ऐसे ही भोले-भाले किसानों से ऋण देने के नाम पर कई कागजात पर साइन करा लिया जाता है. बाद में अपने मुताबिक राशि की निकासी कर ली जाती है. ग्रामीण बैंक के सिर्फ केसीसी ऋण के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो 70 प्रतिशत डिफॉल्टर हो चुका है. वर्षों बाद ग्रामीण बैंक ऐसे ऋणियों पर जब नोटिस भेजता है, तो पता चलता है कि उनके द्वारा तो ऋण की रकम इतनी ली ही नहीं गयी थी. वे बैंक का चक्कर लगाने के लिए मजबूर होते हैं. नमूना के तौर पर दो केस आपके सामने हैं, जो बैंक में गड़बड़झाला को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं.
केस-वन
पासबुक पर लिख दिया क्लोज, दूसरे दिन निकाल ली राशि
लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने करवतही ग्रामीण बैंक के केसीसी ऋणधारक अनिल कुमार तिवारी के मामले में सुनवाई के पश्चात पाया कि श्री तिवारी ने ग्रामीण बैंक में ऋण की राशि चुकता कर दी. पासबुक पर मैनेजर ने क्लोज लिख दिया. नो ड्यूज प्रमाण पत्र के लिए दौड़ते रह गये, नहीं मिला. उसके बाद उन्होंने थक- हार कर छोड़ दिया. 28 फरवरी 2025 को जब सर्टिफिकेट केस का नोटिस मिला, तो उनको पता चला कि उनके नाम पर धोखाधड़ी हो गयी. अब वे कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं. इस मामले में जांच का आदेश दिया गया है.
केस-दो
कोन्हवां में ऋण के प्रपत्र से लेकर विड्रॉल पर मिले थे फर्जी साइन
गोपालगंज जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष पीड़ित ने साक्ष्य प्रस्तुत किया, तो प्रथम दृष्टया साइन में फर्जीवाड़ा पाया गया. पसरमा गांव की आशा देवी को आदर्श स्वयं सहायता समूह का अध्यक्ष बनाया गया. सीएम (कम्युनिटी मोबिलाइजर) के द्वारा कागज में समूह बनाकर उनके नाम पर फ्रॉड किया गया है. आशा देवी को सुशीला देवी नाम की महिला बैंक बुलाकर ले गयी, जहां बहुत सारे कागज पर साइन कराये गये. उसके बाद ऋण नहीं मिलने की बात कह कर लौटा दिया गया. बाद में पता चला कि प्रस्ताव में 1.10 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर दो लाख रुपये निकाले गये हैं. बैंक के ऋण समझौते (लोन एग्रीमेंट) पर आशा देवी के वास्तविक साइन के साथ-साथ कई अन्य जगह पर उनका फर्जी साइन पाया गया है, विदड्रॉल स्लिप एवं जीविका के अधिकृत पत्र (अथॉरिटी लेटर) पर आशा देवी के फर्जी हस्ताक्षर थे. इसमें एलडीएम को जांच करने का आदेश दिया गया है.
मांझा में फ्रॉड की जांच कर रही सीबीआई
मांझा प्रखंड मुख्यालय पर स्थित ग्रामीण बैंक की शाखा में हुए फ्रॉड कांड की जांच सीबीआई के हवाले सौंपी गयी है. मांझा की शाखा से जीविका के 197 एकाउंट से लगभग 3.5 करोड़ की राशि फ्रॉड कर निकाल ली गयी थी. पटना में सीबीआइ ने गृह विभाग के आदेश पर अप्रैल में ही कांड दर्ज कर चुकी है. इंस्पेक्टर प्रशांत यादव के नेतृत्व में जांच टीम गठित है. भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी सत्यम श्रीवास्तव के निर्देश पर सीबीआइ के एसपी बी लकरा ने यह मामला पटना शाखा में पंजीकृत किया है. सीबीआइ के मांझा थाने में दर्ज कांड संख्या 222/2022 को अब सीबीआइ ने टेकओवर कर लिया है. इससे पहले इस मामले की जांच मांझा थाने की पुलिस कर रही थी, लेकिन कांड दर्ज करने के बाद जांच में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी थी.
काम के बोझ के कारण नहीं भरा गया होगा फॉर्म : आरएम
ग्रामीण बैंक के रीजनल मैनेजर राजीव कुमार से संपर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया कि ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक शैलेश सिंह वरीय अधिकारी हैं. ऋण के कैंप में एक-एक किसान से फॉर्म भरवाना संभव नहीं होता. उसे बाद में भरा जाता है. अगर कोई लिखित शिकायत देता है, तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
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