बिहार में बिजली व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए राज्य सरकार लगातार बड़े फैसले ले रही है. अब एक और बड़ा कदम सरकार ने उठाया है. 10 वर्षों में बिजली नेटवर्क को नया विस्तार देने की तैयारी है. बिहार में ट्रांसमिशन नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने रूपरेखा तैयार कर ली है. अब 12869 करोड़ रुपए खर्च करके सरकार इस दीर्घकालीन योजना को धरातल पर लाएगी. लोगों को बिजली आपूर्ती की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा.
2034-35 तक पूरे बिहार में बिजली की मांग को पूरा करने का लक्ष्य
वर्ष 2034-35 तक पूरे बिहार में बिजली की मांग को पूरी की जा सके इसके लिए एक दीर्घकालिक कार्य योजना तैयार की गयी है. जिसके तहत बिजली सप्लाई करने वाली ट्रांसमिशन लाइनों को मजबूत किया जाएगा. बिहार के हर एक कोने में निर्बाध बिजली मुहैया कराने के लिए ये तैयारी चल रही है. भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने 27 जून को ‘रिसोर्स एडिक्वेसी प्लानिंग फ्रेमवर्क’ जारी किया है.
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दीर्घकालिक योजना तैयार
इस प्लानिंग फ्रेमवर्क के तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने सभी राज्यों के लिए एक ऐसी दीर्घकालिक योजना तैयार की है जिससे आने वाले वर्षों में बिजली की डिमांड और सप्लाई में बैलेंस बना रहे. 10 साल के बाद बिजली की जो संभावित मांग रहेगी, उसे ध्यान में रखते हुए ट्रांसमिशन नेटवर्क को और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा.
बिहार में बढ़ेगी मांग, ऐसे होगा बदलाव…
इस योजना में यह बताया गया है कि बिहार में अभी बिजली की मांग 8428 मेगावाट है जो 2034-35 में 18708 मेगावाट तक पहुंच सकती है. बढ़ती जरूरत को देखते हुए 23430 एमवीए ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता बढ़ाने की जरूरत होगी. इसके लिए 5422 सर्किट किलोमीटर तक नयी लाइनें बिछानी होगी. 450 से अधिक सर्किट किमी तक पुरानी लाइनों को बदला जाएगा. तमाम कार्यों पर करीब 12869 करोड़ से अधिक रुपए खर्च हो सकते हैं.
क्यों है इस योजना की जरूरत?
बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव इस योजना को बिहार में 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली देने की दिशा में एक विजन डॉक्यूमेंट बताया. वहीं ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए इस तरह की योजना बेहद जरूरी है. इस योजना की समय-समय पर समीक्षा भी होगी. वहीं BSPTL के एमडी राहुल कुमार ने कहा कि बिजली व्यवस्था का रीढ़ ट्रांसमिशन नेटवर्क होता है. यह योजना राज्य के नेटवर्क को और मजबूत करेगा.