नितिश, पटना
जेपी गंगा पथ पटना के एलसीटी घाट के समीप उत्तर खाली जमीन में बिहार का पहला ई-मालखाना बनेगा. इसके लिए 20 एकड़ जमीन को चिह्नित कर लिया गया है. साथ ही इस पर कार्य शुरू करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से गृह विभाग को पत्र भेज दी गयी है.
गृह विभाग से अनुमति मिलते ही ई-मालखाना बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी. जमीन की चारों ओर से घेराबंदी की जायेगी और पटना के विभिन्न थानों में सड़कों व इधर-उधर जगहों रखे सामान को एक जगह रखा जा सकेगा. इसके कारण थाना भी साफ-सुथरा हो जायेगा और कार्यप्रणाली भी बेहतर हो जायेगी. देश के दिल्ली, उत्तरप्रदेश के कानपुर, राजस्थान के जयपुर, हरियाणा के गाजियाबाद, आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम जैसे शहरों में ई-मालखाना प्रणाली लागू की गई है.
इसे ऑनलाइन मालखाना भी कहा जाता है. यह एक डिजिटल प्रणाली है जो पुलिस थानों में मालखाने के कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए बनायी गयी है. फिलहाल मालखाना में कागजी रूप से जब्त सामानों की इंट्री कर रिकॉर्ड रखा जाता है. लेकिन इन सामानों की इंट्री ऑनलाइन तरीके से कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकेगा.
इससे फायदा यह होगा कि जब्त सामान को व्यवस्थित रूप से संग्रहीत किया जा सकता है और आसानी से खोजा सकता है. जिसके कारण परेशानी से बचा जा सकेगा और समय की भी बचत हो सकेगी. अभी कागजी प्रणाली होने के कारण सामानों को खोजने में काफी परेशानी होती है. कौन सामान कहां रखा है, उसे खोजना काफी कठिन होता है.
ई-मालखाना होने से क्या होगा फायदा
ई-मालखाना में जब्त की गयी वस्तु को एक अद्वितीय पहचान संख्या या बारकोड के साथ जोड़ा जायेगा. जिससे इसे आसानी से खोजा जा सकता है. केवल प्राथमिकी संख्या, मालखाना नंबर या वस्तु के विवरण से संबंधित जानकारी डालकर बरामद सामान के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है.-ई-मालखाना में जब्त सामान को डिजिटल पोर्टल में दर्ज किया जायेगा.
जिससे यह जानकारी मिल जायेगी कि उक्त सामान किस जगह पर रखा हुआ है. अभी सामान को खोजने में पुलिसकर्मियों को पसीना छूट जाता है और लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ई-मालखाना होने से विभिन्न पुलिस स्टेशनों और विभागों के बीच साक्ष्यों के आदान-प्रदान की सुविधा मिल सकेगी.
कैसे रखा जायेगा सामान
उदाहरण के तौर पर अगर पुलिस किसी व्यक्ति के पास से पिस्तौल बरामद करती है. अपराधी के पास से मिले पिस्तौल को ई-मालखाना में एक बार कोड दिया जायेगा और उसकी डिजिटल तरीके से इंट्री कर रिकॉर्ड रखा जायेगा. मसलन पिस्तौल किस प्राथमिकी से जुड़ी है और कब बरामद की गयी है और उसे ई-मालखाना में कहां पर रखा गया है. अगर कोर्ट को साक्ष्य के रूप में सामान की जरूरत होगी तो ई-मालखाना से उसे आसानी से अनुसंधानकर्ता ढुंढ सकता है और कोर्ट में प्रस्तुत कर सकता है.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि ई-मालखाना के लिए जेपी गंगा पथ के एलसीटी घाट के समीप 20 एकड़ जमीन चिह्लित की गयी है. उस पर फेंसिंग या चाहरदीवारी का निर्माण कराने व अन्य कार्य के लिए गृह विभाग को पत्र भेज दिया गया है. यह मालखाना सेंट्रलाइज्ड होगा. इसके कारण थानों के मालखाना में सामान रखने में हो रही समस्या का निदान हो जायेगा.
अभी सड़कों पर इधर-उधर सामान रखा जाता है. जिसके कारण परेशानी भी होती है. लेकिन ई-मालखाना बनने के बाद सारी परेशानी खत्म हो जायेगी. इसके अलावा पुलिस, कोर्ट, जेल आदि के कार्यों को भी ऑनलाइन करने की प्रक्रिया की जा रही है.
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