नये साल के जश्न के लिए कैमूर पहाड़ी पर तैयार है करकटगढ़ जलप्रपात, लोगों को खूब कर रहा आकर्षित

करकटगढ़ जलप्रपात मगध, पूर्वांचल और शाहाबाद के लोगों को सबसे अधिक आकर्षित कर रहा है. बरसात के दिनों में जलप्रपात की खूबसूरती देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसी जलप्रपात का पानी नीचे जाकर कर्मनाशा नदी में मिलता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2022 7:07 AM
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चैनपुर प्रखंड के कैमूर पहाड़ी पर एक खूबसूरत करकटगढ़ जलप्रपात है. यहां जाने के बाद किसी को भी सुकून और शांति मिलेगी. चारों तरफ हरियाली से घिरी पहाड़ियों से गिरते हुए झरने को देखना खुद को प्रकृति के करीब महसूस करने जैसा है. यही कारण है कि नववर्ष पर यह सैलानियों को सबसे अधिक आकर्षित करता है. कैमूर के करकटगढ़ जलप्रपात को देखने भारी संख्या में पर्यटक आते हैं. खासकर बारिश के दिनों में जलप्रपात की खूबसूरती और भी बढ़ी हुई है.

दरअसल, जिला मुख्यालय से लगभग 36 किलोमीटर दूर करकटगढ़ जलप्रपात कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. यहां के बारे में लोग जानते जरूर थे, लेकिन आता कोई नहीं था. लेकिन, नक्सलग्रस्त इस क्षेत्र में दिसंबर 2019 से इको टूरिज्म को लेकर विकास कार्य शुरू किया गया. इसके बाद चैनपुर का करकतगढ़ जलप्रपात बिहार के पर्यटन के मानचित्र पर उभर कर सामने आया. यहां का दौरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी कर चुके हैं और यहां के मनभावन दृश्य को देख कर मंत्रमुग्ध भी हो चुके हैं. यहां मगरमच्छ संरक्षण केंद्र, इको टूरिज्म पार्क की स्थापना की गयी है.

टूरिस्टों के लिए यहां रात को भी ठहरने के लिए कैंपिंग का प्रबंध किया जा रहा है. यह जलप्रपात मगध, पूर्वांचल और शाहाबाद के लोगों को सबसे अधिक आकर्षित कर रहा है. बरसात के दिनों में जलप्रपात की खूबसूरती देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसी जलप्रपात का पानी नीचे जाकर कर्मनाशा नदी में मिलता है. नववर्ष का जश्न मनाने के लिए यह सैलानियों की पहली पसंद है. यहां सिर्फ जिले के ही नहीं बल्कि यूपी के अलग-अलग हिस्सों से नये साल का जश्न मनाने के लिए यहां आते हैं.

चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर कुहिरा नदी पर स्थित जगदहवां डैम की खूबसूरती भी लोगों को अपनी ओर खींचती है. यहां जिले के अलग-अलग प्रखंडों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से नये साल का जश्न मनाने के लिए लोग पहुंचते हैं. कैमूर पहाड़ी के बीचों बीच बहने वाली कुहिरा नदी पर बने जगदहवा डैम साल के 12 महीने लोगों को अपनी और आकर्षित करता है. लेकिन यहां खासकर नये साल का जश्न मनाने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा होती है. प्रकृति की गोद में स्थित इस डैम का नजारा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सभी समय देखने लायक होता है. लेकिन, शाम में इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. सूर्यास्त के समय आसमान में छाई लालिमा मानो पहाड़ की गोद से निकल रहा हो, ऐसा दिखता है. कैमूर पहाड़ी की हरी-भरी वादियों के बीच यह डैम नये साल के जश्न मनाने के लिए सबसे बढ़िया स्थान है.

ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल चैनपुर के मदुरना पहाड़ी के पास स्थित बख्तियार खान का मकबरा भी नये साल का जश्न मनाने के लिए लोगों की पहले च्वाइस में शामिल है. कुहिरा नदी के तट पर स्थित बख्तियार खान के मकबरा के साथ-साथ इसके समानांतर स्थित मदुरना पहाड़ी भी सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. कुहिरा नदी के पूर्वी तट पर जहां बख्तियार खान का मकबरा स्थित है. वहीं पश्चिमी तट पर मदुरना पहाड़ी स्थित है. इन दोनों स्थलों के बीच स्थित महावीर मंदिर की छटा देखते ही बनता है. बख्तियार खान का मकबरा पुरातत्व विभाग के अधीन है, जिसके सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है. यहां प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में लोग नये साल का जश्न मनाने के लिए आते हैं.

एक तरफ जहां नये साल के जश्न को लेकर लोग करकटगढ़, जगदहवा डैम सहित अन्य स्थानों पर जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ कई लोग नये साल के पहले दिन पूजा पाठ में बिताते हैं. प्रखंड क्षेत्र के चैनपुर बाजार स्थित हरसू ब्रह्म मंदिर में नये साल के पहले दिन काफी संख्या में श्रद्धालु बालों के दर्शन करने आते हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ यूपी झारखंड सहित देश के अन्य हिस्सों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. साल के पहले दिन लोग बाबा की भक्ति में बिताना चाहते हैं.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरे कैमूर में टूरिज्म की अपार संभावनाएं है. कैमूर पहाड़ी लगभग 450 किलोमीटर से भी लंबी विंध्य पहाड़ियों के पूर्वी हिस्से में स्थित है, जो मध्य प्रदेश के जबलपुर में कटंगी से बिहार के कैमूर-रोहतास जिले के नजदीक तक पसरा हुआ है. कैमूर पहाड़ी पर तरह-तरह के पंछी, जैव विविधता, दुलर्भ जंगली जानवर, दुर्गम किले, मूल्यवान आयुर्वेदिक औषधियां, प्राकृतिक जलप्रपात टूरिस्टों के सफर को रोमांचकारी और अनूठा बनाते हैं. इन पहाड़ियों पर सनातन देवी-देवताओं के पुराने मंदिर हैं, जो कैमूर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. कैमूर की वादियों में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां सैलानी अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ वक्त बिताने आते हैं. खासकर नये साल के पहले दिन लोग सपरिवार जश्न मनाने आते हैं.

दुर्गावती जलाशय, जगदहवा डैम, शेरगढ़ किला, करकटगढ़ जलप्रपात, मुंडेश्वरी मंदिर, तेल्हाड़कुंड, कैमूर वन्यजीव अभयारण्य, ताराचंडी शक्तिपीठ, महादेव खोह, मांझर कुंड जहां लोग नये साल का जश्न मना सकते हैं.

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