वेतन के लिए नहीं करना पड़ता था इंतजार
शिक्षकों का कहना है कि केके पाठक के कार्यकाल में वेतन भुगतान में कोई देरी नहीं होती थी, लेकिन उनके जाने के बाद विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि तीन महीने से वेतन अटका हुआ है. कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है. तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से विशिष्ट शिक्षकों में भारी नाराजगी है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा राज्यकर्मी का दर्जा मिलने के बावजूद वेतन भुगतान में लापरवाही जारी है. इस स्थिति से परेशान शिक्षकों ने अब सरकार को 31 मार्च तक वेतन भुगतान का अल्टीमेटम दिया है. यदि वेतन नहीं मिला तो एक अप्रैल से जिला शिक्षा कार्यालय के समक्ष धरना और अनशन शुरू किया जाएगा.
सरकार पर लापरवाही का आरोप
पत्रकारों से बात करते हुए संघ के महासचिव कमलेश शर्मा ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अपर सचिव केके पाठक के कार्यकाल में वेतन का भुगतान समय पर हो जाता था, लेकिन उनके जाने के बाद से हालात फिर से खराब हो गए हैं. स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कैमूर जिला के रामगढ़ प्रखंड अध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि एक जनवरी 2025 को सरकार ने विशिष्ट शिक्षकों को परीक्षा लेकर राज्यकर्मी का दर्जा दिया था. शिक्षकों को उम्मीद थी कि इससे उनकी वेतन भुगतान की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रान नंबर मिलने के बावजूद शिक्षकों का वेतन तीन महीने से अटका हुआ है.
घर का बजट बिगड़ा, फीस भरना मुश्किल
बिहार स्टेट टीचर्स एसोसिएशन गोपगुट के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि 78 दिनों से शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. शिक्षकों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) से कई बार मिलकर वेतन भुगतान की गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अब संघ ने 31 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है. संतोष कुमार ने स्पष्ट कहा, “अगर 31 मार्च तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ तो एक अप्रैल से जिला शिक्षा कार्यालय के सामने विशिष्ट शिक्षक धरना और अनशन शुरू कर देंगे. सरकार को अब शिक्षकों की स्थिति को गंभीरता से लेना होगा.”
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