पिगमेंट के लिए प्रसिद्ध बिक्सा ओरियाना
बताया गया कि यह शोध बिक्सा ओरियाना पर केंद्रित है, जो अपने प्राकृतिक बिक्सिन रंजक (पिगमेंट) के लिए प्रसिद्ध है. यह एक पर्यावरण-अनुकूल, गैर-विषाक्त विकल्प प्रदान करता है, जो सीसे (लेड) और पारे (मरकरी) जैसी भारी धातुओं से मुक्त होता है. सिंथेटिक सिंदूर में पाए जाने वाले ये रसायन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. इस परियोजना में उन्नत निष्कर्षण, स्थिरीकरण और सूत्रीकरण तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे रंग स्थिरता, शेल्फ-लाइफ और उत्पाद की सुरक्षा को बढ़ाया जा सके.
स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हल
डॉ. डीआर सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यह शोध बीएयू सबौर की वैज्ञानिक उत्कृष्टता और कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.” उन्होंने कहा कि बिक्सा ओरियाना की प्राकृतिक रंजक क्षमता का उपयोग करके हम स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को हल कर रहे हैं और साथ ही ग्रामीण जैव-आर्थिकी विकास को बढ़ावा दे रहे हैं. यह पहल जैव-तकनीकी नवाचारों को और प्रेरित करेगी.
इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं
अनुसंधान निदेशक डॉ. एके सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा, “वनस्पति-आधारित जैव-रंजकों की व्यापक संभावनाएं हैं, और यह पहल उनके व्यावसायिक अनुप्रयोगों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. हमारी अनुसंधान टीम ने उन्नत निष्कर्षण और स्थिरीकरण तकनीकों को अपनाकर प्राकृतिक सिन्दूर की शुद्धता और स्थिरता को अधिकतम किया है। भविष्य में पादप-रसायन आधारित व्यावसायिक अनुप्रयोगों की संभावनाएं और भी बढ़ेंगी.”
सौंदर्य प्रसाधन और पोषण उत्पादों के क्षेत्र में नए आयाम
बिक्सा ओरियाना से प्राकृतिक सिंदूर का सफल वाणिज्यीकरण किसानों, लघु उद्योगों और महिला उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा करेगा, जिससे ग्रामीण रोजगार और बिहार के कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन (वैल्यू-एडिशन) को बढ़ावा मिलेगा. यह पहल जैव-प्रौद्योगिकी आधारित उत्पाद विकास की दिशा में एक नया मील का पत्थर साबित होगी, जिससे प्राकृतिक रंग, सौंदर्य प्रसाधन और पोषण उत्पादों के क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे.
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