अब तक 729 डीजल इंजन बन चुका है वेबटेक
यह फैक्ट्री वेबटेक इंक और भारतीय रेलवे का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें वेबटेक का 76 फीसद और रेलवे का 24 फीसद शेयर है. 2018 में स्थापित यह संयंत्र अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बना चुका है. इनमें 4500 एचपी के 545 और 6000 एचपी के 184 इंजन शामिल हैं.
पहली बार भारत का कोई राज्य वैश्विक बाजार के लिए इंजन करेगा निर्यात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन को बिहार में साकार करती यह फैक्ट्री अब मेक इन बिहार – मेक फॉर द वर्ल्ड के मंत्र को गूंज दे रही है. पहली बार भारत के किसी राज्य से वैश्विक बाजार के लिए लोकोमोटिव इंजन का निर्माण और निर्यात हो रहा है.
26 मई को गिनी के तीन मंत्रियों ने किया था दौरा
26 मई को दक्षिण अफ्रीका के गिनी देश के तीन मंत्रियों ने संयंत्र का दौरा किया था. इसके बाद 140 लोकोमोटिव इंजनों की डील फाइनल की गयी थी. इसका नाम कोमो दिया गया था. यह डील करीब तीन हजार करोड़ रुपये की है.
अब स्थानीय से वैश्विक हुआ लोकोमोटिव संयंत्र
226 एकड़ में फैली यह फैक्ट्री न सिर्फ लोकोमोटिव बनाती है, बल्कि स्थानीय रोजगार और सप्लाई चेन को भी मजबूती देती है. लगभग 40-50 फीसद पार्ट्स महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, जमशेदपुर से आते हैं. कुछ विशेष इंजन अमेरिका से मंगाे जाते हैं. लेकिन, अब निर्यात के बढ़ते ऑर्डर और ग्लोबल स्टैंडर्ड गेज इंजन की मांग को देखते हुए संयंत्र अपनी क्षमता विस्तार की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है.
बिहार को बनायेगा औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी
यह परियोजना न सिर्फ भारत की उत्पादन शक्ति को दिखाती है, बल्कि यह बिहार जैसे राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी भी बनायेगा. इससे स्थानीय युवाओं को तकनीकी रोजगार मिलेगा और स्थानीय सप्लायर नेटवर्क भी मजबूत होगा.
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