शीतलहर की चपेट में गया, 3 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंचा न्यूनतम तापमान, अभी और कम होगा रात का पारा
मौसम विभाग के वैज्ञानिक के मुताबिक रात का तापमान और लुढ़केगा, तब कनकनी और महसूस होगी. रात से लेकर सुबह करीब साढ़े आठ बजे तक गया व आस-पास का ग्रामीण क्षेत्र कुहासे की चादर से पूरी ढंकी रह रही है. हालांकि दिन में धूप खिली पर कनकनी कम नहीं हुई.
By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2023 10:41 PM
गया पूरी तरह शीतलहर की चपेट में आ गया है. रविवार को कोल्ड डे रहा और मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक सोमवार को भी कोल्ड डे रहने की संभावना जतायी गयी है. रविवार को गया सूबे में सबसे सर्द दिन रहा जब यहां का न्यूनतम तापमान 2.9 डिग्री व अधिकतम तापमान 20.0 डिग्री सेल्सियस रहा. सुबह की आर्द्रता 97 प्रतिशत व शाम की आर्द्रता 62 प्रतिशत रही.
टूटा कई वर्षों का रिकार्ड
जनवरी माह में पिछले कई वर्षों का रिकार्ड टूटा जब न्यूनतम पारा तीन डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया. इससे पहले 11 जनवरी 2020 को न्यूनतम पारा 4.6 डिग्री, 30 जनवरी 2021 को 3.0 डिग्री व 20 जनवरी 2022 को न्यूनतम पारा 4,6 डिग्री सेल्सियस रहा था.
रात का तापमान और लुढ़केगा
मौसम विभाग के वैज्ञानिक के मुताबिक रात का तापमान और लुढ़केगा, तब कनकनी और महसूस होगी. रात से लेकर सुबह करीब साढ़े आठ बजे तक गया व आस-पास का ग्रामीण क्षेत्र कुहासे की चादर से पूरी ढंकी रह रही है. हालांकि दिन में धूप खिली पर कनकनी कम नहीं हुई. नाखून के अंदर तक कनकनी महसूस की जा रही है.
अलाव जलाकर लोग शरीर सेंकते देखे जा रहे
बढ़ी कंपकपी को लेकर शाम से ही हर जगह अलाव जलाकर लोग एकत्रित होकर शरीर सेंकते देखे जा रहे हैं. दिन में धूप खिलने के बाद बाजार में थोड़ी रौनक दिखी. हालांकि 31 दिसंबर से ही कुहासे, धुंध व शीतलहरी की वजह से बाजार में चहल-पहल अधिक नहीं दिखायी दे रही है. मौसम खुलने पर लोग घरों से निकल कर मार्केटिंग कर रहे हैं और जल्दी ही घर वापस लौट जा रहे हैं.
कुहासे की वजह से कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहा है. खेतों में बोये गये गेहूं के बीज के अंकुरण में परेशानी आ सकती है. किसान बता रहे हैं कि थोड़ी धूप खिल जा रही है, जिससे थोड़ी राहत है. वर्ना गेहूं की फसल पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है. उधर ठंड को लेकर गर्म कपड़े व हीटर, गीजर, ब्लोअर जैसे उपकरण खरीद के लिए दुकानों पर थोड़ी भीड़-भाड़ देखी जा रही है. कुहासे, शीतलहरी की वजह से न केवल व्यक्ति बल्कि पशु-पक्षी भी हलकान हैं.