Bihar News: बिहार पुलिस ने उस साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश कर दिया है, जो खुद को ‘BOSS’ कहता था. इस नाम का इस्तेमाल गैंग की गाड़ियों से लेकर ठगी के लेन-देन में किया जाता था. पटना में छापेमारी कर पुलिस ने इस गिरोह के 5 बदमाशों को गिरफ्तार किया जिनके पास से 30 लाख रुपये कैश, दो देशी पिस्टल, 13 गोली, रुपये गिनने वाली मशीनें, 24 मोबाइल, 7 लैपटॉप, दो टैब, 49 एटीएम कार्ड, 37 चेकबुक और दो लग्जरी गाड़ियां जब्त की गईं.
पटना, चंपारण और रघुनाथपुर से जुड़े ठग
गिरफ्तार बदमाशों की पहचान पटना के चांदमारी मोहल्ले के सुमित सौरभ, रघुनाथपुर के संजीव कुमार व सुनील श्रीवास्तव, राजाबाजार के दिपांशु पांडेय और पश्चिमी चंपारण के पप्पू कुमार के रूप में हुई है. गिरोह के सदस्य साइबर ठगी से कमाए गए काले धन को क्रिप्टोकरेंसी और USDT में निवेश कर सफेद कर रहे थे.
‘BOSS’ बनकर ठगते थे लाखों, युवाओं को बनाते थे मोहरा
‘BOSS’ गैंग के लोग बेरोजगार युवकों को कमीशन का लालच देकर उनके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते थे. इन खातों के जरिए साइबर फ्रॉड से कमाए गए पैसे को धीरे-धीरे बाहर निकाला जाता और उसे डिजिटल करेंसी में बदल दिया जाता. पुलिस ने बताया कि गिरोह से करीब 200 युवा जुड़े हुए हैं जिनमें से अधिकांश 25 से 30 साल के हैं.
दिल्ली में बैठे मास्टरमाइंड, बिहार से हैं ताल्लुक
पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस गिरोह के मास्टरमाइंड आयुष, यश और अंश नामक तीन युवक हैं, जो इस समय दिल्ली से पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहे थे. ये तीनों पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया के अंबिका नगर के निवासी हैं. साथ ही रघुनाथपुर का एक और युवक भी मास्टर नेटवर्क से जुड़ा है.
गाड़ियों पर ‘BOSS’ की मोहर, हथियार और डायरी से कई राज खुले
जब्त की गई थार, ब्रेजा और बुलेट पर ‘BOSS’ लिखा हुआ था. यही गैंग का नाम था, और इसका इस्तेमाल वे अपनी पहचान बनाने के लिए करते थे. एक अहम डायरी भी मिली है जिसमें करोड़ों रुपये की ठगी का पूरा ब्योरा, अकाउंट नंबर, पासवर्ड और फ्रॉड के तरीके दर्ज हैं. ये डायरी पुलिस जांच का अहम सुराग बनी है.
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DSP अभिनव पराशर की अगुआई में कार्रवाई
इस कार्रवाई का नेतृत्व साइबर थाना डीएसपी अभिनव पराशर ने किया. टीम में दरोगा मनीष कुमार, राजीव सिन्हा, प्रियंका कुमारी समेत कई सशस्त्र बल शामिल थे. पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही गिरोह के दिल्ली में छिपे मास्टरमाइंड भी गिरफ्त में आएंगे.