बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है शशिभूषण कुंवर ,पटना बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है. इस प्रक्रिया की सफलता के लिए आयोग ने राज्य के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से हर बूथ पर बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने की अपील की थी ताकि मतदाता सूची में त्रुटियों को दूर करने में सक्रिय सहयोग मिल सके. दुर्भाग्यवश अधिकतर दलों ने इस दिशा में अपेक्षित संजीदगी नहीं दिखायी है. इस बार चुनावी तैयारियां शुरू हुई हैं, तो राजनीतिक दल खुद अपनी भूमिका निभाने में पीछे रह गये हैं और आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में 1200 वोटर पर एक बूथ की स्थापना की जानी है. राज्य में प्रस्तावित 92 हजार बूथों का गठन किया जाना है. आयोग की ओर से यह खुलासा किया गया है पहले से स्थापित करीब 78 हजार बूथों पर भी दलों द्वारा बीएलए नियुक्त नहीं किये गये हैं. यह राजनीतिक दलों की ही कमजोरी है, लेकिन अब वे अपनी विफलता का ठीकरा आयोग के सिर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. चुनाव आयोग ने न केवल बीएलए नियुक्त करने की अपील की थी, बल्कि उनके प्रशिक्षण की भी व्यापक व्यवस्था की थी. दिल्ली में जिलाध्यक्षों से लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं तक को प्रशिक्षित किया गया ताकि वे पुनरीक्षण कार्य में सहयोग कर सकें. अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दो जुलाई तक भाजपा ने 52,689, राजद ने 47,504, जदयू ने 34,669, कांग्रेस ने 16,500, रालोसपा ने 1,913, भाकपा (माले) ने 1,271, लोजपा (रामविलास) ने 1,153, भाकपा ने 578, रालोसपा ने 270, बसपा ने 74, एनपीपी ने तीन और आम आदमी पार्टी ने मात्र एक बीएलए की नियुक्ति की है. आयोग ने हर बीएलए प्रतिदिन अधिकतम 50 प्रमाणित फाॅर्म जमा कराने की छूट दी है. ऐसे में यदि सभी बूथों पर बीएलए तैनात कर दिये जाते हैं , तो पुनरीक्षण अभियान को गति मिलेगी.
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