Patna High Court: MBBS के छात्रों को राहत देने से हाईकोर्ट का इनकार, स्वास्थ्य विभाग के एसीएस से मांगा जवाब   

Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, बेतिया में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष की परीक्षा में परीक्षार्थी के बदले अन्य व्यक्ति के बैठने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है.

By Rani | June 2, 2025 3:41 PM
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Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, बेतिया में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष की परीक्षा में परीक्षार्थी के बदले अन्य व्यक्ति के बैठने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को अगली सुनवाई में जवाब देने को कहा है.

अगली सुनवाई 20 जून को

जस्टिस पार्थ सारथी ने अरविन्द कुमार व अन्य की याचिकायों पर सुनवाई की. इस मामले की अगली सुनवाई 20 जून 2025 को होगी. ये मामला अरविंद कुमार और बेतिया के सरकारी कॉलेज के चार अन्य छात्रों का प्रवेश पिछले साल नवंबर में रद्द किये जाने से जुड़ा है. उन पर तीसरे साल की एमबीबीएस परीक्षा में मूल छात्रों की जगह दूसरे छात्रों को बैठाने का आरोप था.

याचिकाकर्ता ने क्या कहा?

याचिकाकर्ता के वकील रामचंद्र सिंह ने बताया कि अगली एमबीबीएस परीक्षा 4 जून 2025 से ही प्रारम्भ होने वाली है, इसलिए याचिकाकर्ता को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए. इस संबंध में एक आदेश भवेश कुमार भास्कर एक आदेश का प्रति कोर्ट के समक्ष रखा गया, जिसमें ऐसे कुछ छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी.

सरकार ने किया कड़ा विरोध

राज्य सरकार के अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल परीक्षा में नकल करना समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है. इससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा है. डॉक्टर हमारे जीवन रक्षक हैं और अनुचित तरीकों से पास आउट होने वाले किसी भी डॉक्टर के कारण आने वाली पीढ़ियों को परेशानी उठानी पड़ेगी. सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपने कारण बताओ जवाब में खुद स्वीकार किया है कि उनके स्थान पर ईएनटी पेपर की तीसरे वर्ष की मेडिकल परीक्षा में एक अन्य छात्र बैठा था. इसलिए उसे कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए. याचिकाकर्ता द्वारा अंतरिम आदेश राहत को अलग करते हुए उन्होंने कहा कि आदेश में कुछ मेडिकल छात्रों को केवल इस आधार पर अंतरिम राहत दी गई थी कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना को दो बार आदेश दिया गया था. लेकिन कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया.

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स्वास्थ्य विभाग के एसीएस से जवाब तलब 

इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे विश्वविद्यालय को विस्तृत जवाब दाखिल करने के वर्तमान आदेश से अवगत कराएं. मामले की अगली सुनवाई 20 जून 2025 को होगी.

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