पंजीयन काउंटर पर दिया जायेगा टोकन
मंगल पांडेय ने कहा कि इस व्यवस्था के तहत ओपीडी पंजीकरण काउंटर पर मरीजों को टोकन नंबर दिया जायेगा. इसमे संबंधित चिकित्सक का नाम अंकित रहेगा. टोकन मिलने के बाद मरीज को अपनी बारी का इंतजार व्यवस्थित तरीके से करने में मदद मिलेगी. नर्सिंग डेस्क और ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन काउंटर पर भी टोकन नंबर और संबंधित जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले डिवाइस पर प्रदर्शित की जायेगी. इसके अलावा सभी चिकित्सकों के कक्षों के बाहर उनके नाम और टोकन नंबर प्रदर्शित किए जाएंगे.
ड्रग रेसिस्टेंट की भयावहता को रोकने के लिए वन हेल्थ कार्यक्रम होगा आरंभ
पटना में दवाएं अब बीमारियों के इलाज में बेअसर साबित होने लगी है. एंटीबायोटिक के घडल्ले से इस्तेमाल से आगामी 10 वर्षों में स्थिति भयावह हो सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2014-23 के बीच एंटीबायोटिक दवाओं का रेसिस्टेंट 15 प्रतिशत से बढ़कर अब 25 प्रतिशत तक हो गया है. इस तरह न सिर्फ एंटीबायोटिक दवाएं बल्कि डायरिया, डिसेंट्री, जल जनित बीमारियों की दवाओं में अब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो रहा है. इसके कारण मानव ही नहीं बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य पर भी खतरा पैदा हो रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए वन हेल्थ कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. इसमें एंटीबायोटिक दाबायटिक रेसिस्टेंट, जल जनित बीमारियों में डायरिया, डिसेंट्री, फ्लोराइड, जिनोटिक बीमारी की दवाओं में होनेवाले रेसिस्टेंट की जांच की जायेगी आइडीएसपी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा रणजीत कुमार ने बताया कि मानव स्वास्थ्य पर बेअसर हो रही दवाओं के रेसिस्टेंट की जांच और सर्विलांस को लेकर साझी रणनीति तैयार की जा रही है.
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