संवाददाता, पटना संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि जाति आधारित जनगणना के फैसले का श्रेय लेने के लिए राजद और कांग्रेस नेता बेचैन और बदहवास दिख रहे हैं. शुरुआत में 2019 और 2020 में बिहार विधानसभा में दो बार सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केंद्र से 2021 की जनगणना जातिगत आधार पर कराने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया गया था, उस समय सरकार एनडीए की थी. फिर जब विधानसभा का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से इसके लिए मिला, उस समय भी एनडीए की ही सरकार थी. जब जून 2022 में सरकार ने मंत्रिपरिषद से निर्णय लेकर अधिसूचना जारी की, उस समय भी सरकार एनडीए की ही थी, फिर राजद और कांग्रेस किस मुंह से श्रेय लेना चाह रहे हैं. श्री चौधरी ने कहा कि 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए सरकार थी तो क्यों नहीं 2011 में जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया? दूसरी तरफ, राहुल गांधी यह भी नहीं समझते कि बिहार सरकार ने जितने सटीक और प्रामाणिक तरीके से जाति गणना करायी, उसके सामने तेलंगाना की पद्धति की विश्वसनीयता कहीं नहीं टिक पाती. पूरा देश इस तथ्य से परिचित है. राजद और कांग्रेसी नेताओं को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. इधर, देशभर में जातिगत गणना कराने केंद्र सरकार के ऐतिहासिक निर्णय के बाद इसकी जानकारी देने के लिए जदयू ने शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों में एनडीए की प्रेसवार्ता आयोजित की. इसमें जदयू के प्रदेश स्तरीय नेता शामिल हुए.
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