टीपीएस कॉलेज में बाघ संरक्षण पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

बाघ हमारे पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग हैं और उनकी रक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है

By ANURAG PRADHAN | July 29, 2025 8:30 PM
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पटना.

बाघ हमारे पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग हैं और उनकी रक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. इस तरह के आयोजन छात्रों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाते हैं. ये बातें टीपीएस कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य तपन कुमार शांडिल्य ने कहीं. कॉलेज के प्राणीशास्त्र विभाग ने बाघ संरक्षण पर एक विस्तृत संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें छात्रों ने पावरप्वाइंट और पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और जागरूकता का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम की शुरुआत डॉ ज्योत्सना कुमारी ने स्वागत भाषण से की. डॉ सानंदा सिन्हा ने मंच संचालन का दायित्व निभाया. प्रो अबु बकर रिजवी और प्रो कृष्णनंदन प्रसाद ने बाघ संरक्षण के प्रति प्रेरित किया. उन्होंने बाघों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला. विशिष्ट अतिथि डॉ रीता गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि बाघों का संरक्षण केवल एक जीव का संरक्षण नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा है और इस दिशा में युवाओं की भूमिका अहम है. मुख्य अतिथि डॉ वीएम सतीश कुमार ने कहा कि भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है और हमें इस प्रयास को और मजबूत करना होगा. डॉ रुपम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस जो 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग रूस में आयोजित वैश्विक बाघ शिखर सम्मेलन में घोषित किया गया था. हर साल 29 जुलाई को बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा के लिए मनाया जाता है. प्रो हेमलता सिंह ने कहा कि विश्व भर में बाघों की संख्या में कमी चिंता का विषय रही है और 1900 में जहां उनकी संख्या लगभग 1,00,000 थी, वहीं 2010 में यह घटकर 3,200 रह गयी थी. हालांकि, वैश्विक प्रयासों से 2022 तक यह संख्या बढ़कर 5,574 तक पहुंची, जिसमें भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. प्रो कृष्णनंदन प्रसाद ने कहा कि भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1973 से बाघ संरक्षण पर काम हो रहा है और वर्तमान में देश में 54 बाघ अभयारण्य हैं, जहां बाघों की आबादी 3,682 तक पहुंच गयी है. इस आयोजन में छात्रों को बाघों के संरक्षण के महत्व से अवगत कराया गया, जिसमें उनके आवास हानि, शिकार, और मानव-बाघ संघर्ष जैसे मुद्दों पर चर्चा की गयी. इस अवसर पर अंकित तिवारी, शिवम कुमार, विकास कुमार, दीपक कुमार, नंदन कुमार, शगूफा तरन्नुम, स्मृति राय, प्रिया आदि सक्रिय रूप से उपस्थित थे.
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